M-Y समीकरण का मतलब मुस्लिम-यादव नहीं? अखिलेश ने दी नई परिभाषा, ‘अब्बा जान’ पर भी बोले

यूपी तक

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी) के कोर ‘वोट बैंक’ को लेकर अक्सर M-Y टर्म का इस्तेमाल मुस्लिम-यादव गठजोड़ के लिए होता रहा है. मगर अब पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस टर्म का नया मतलब सामने रखा है. अखिलेश ने कहा है- M मतलब महिला और Y मतलब यूथ. एसपी चीफ ने हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के साथ बातचीत में यह बात कही है.

बातचीत के दौरान जब अखिलेश से पूछा गया कि क्या उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी के साथ गठबंधन करके गलती की, तो उन्होंने कहा, ”मुझे अनुभव मिला है कि बड़े दलों से गठबंधन नहीं करना है.” उन्होंने कहा कि इस बार छोटे दलों को साथ लाने की कोशिश होगी.

जब अखिलेश से पूछा गया कि M (असदुद्दीन) ओवैसी ले जाएंगे, Y का कुछ हिस्सा बीजेपी ले जाएगी, तो M-Y में से बचेगा क्या?

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इस पर एसपी चीफ ने कहा, ”आप उस चश्मे से क्यों देखते हैं, M का मतलब महिला और Y मतलब यूथ, महिलाएं और यूथ समाजवादी सरकार बनवाएंगे.”

‘अब्बा जान’ मामले पर क्या बोले अखिलेश?

अखिलेश से यह सवाल भी किया गया- ”बीजेपी के लोग कहते हैं कि आपको पिछले एक महीने में योगी (आदित्यनाथ) जी ने 3 बार ये शब्द कहा है और इससे आपको तकलीफ है- अब्बा जान. क्यों तकलीफ है?”

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इसके जवाब में अखिलेश ने कहा, ”वो योगी जी के संस्कार हैं. हम तो और भी कुछ कह सकते हैं, लेकिन नेताजी ने हम लोगों को ऐसे संस्कार नहीं दिए कि हम इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करें.”

बता दें कि ‘अब्बा जान’ टर्म पर पहली बार विवाद तब हुआ, जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों ‘पंचायत आज तक’ में इसका इस्तेमाल कुछ इस तरह किया कि उसे अखिलेश यादव पर निशाने के तौर पर देखा गया.

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सीएम योगी ने कहा था, ”हमने कहा था कि रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे… आज अयोध्या में राम जन्मभूमि के भव्य मंदिर निर्माण का काम शुरू हो चुका है. उनके अब्बा जान तो कहते थे कि हम परिंदे को भी पर नहीं मारने देंगे. हमने 1990 में भी कहा था कि जहां रामलला विराजमान हैं, वो राम जन्मभूमि है, वहां भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए. इन लोगों ने तब स्वीकार नहीं किया और राम भक्तों पर गोली चलाई.”

दरअसल 1990 में जब अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे, तब अयोध्या में सुरक्षाबलों और कारसेवकों के बीच संघर्ष में 20 से ज्यादा कारसेवकों की मौत हो गई थी. ऐसे में माना गया कि योगी ने अपने ‘अब्बा जान’ वाले बयान से अखिलेश पर ही निशाना साधा.

2017 में श्मशान-कब्रिस्तान, 2022 में ‘अब्बा जान’? BJP की चुनावी शब्दावली के निशाने पर कौन

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