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मौत के बाद अपनों ने छोड़ा साथ, 48 घंटे के इंतजार के बाद महिला ने दी पति की चिता को मुखाग्नि

आनंद राज

अधिकतर श्मशान घाटों पर किसी की मृत्यु के पश्चात किसी पुरुष को ही मुखाग्नि देते हुए आपने देखा होगा, लेकिन यूपी के प्रयागराज के एक…

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अधिकतर श्मशान घाटों पर किसी की मृत्यु के पश्चात किसी पुरुष को ही मुखाग्नि देते हुए आपने देखा होगा, लेकिन यूपी के प्रयागराज के एक श्मशान घाट पर मौजूद एक महिला को लोग उस समय निहारते रहे जब उसने अपने पति की चिता को मुखाग्नि दी. श्मशान घाट पर मौजूद हर एक आदमी के मन में यह बात कचोट सी रही थी कि आखिरकार अंतिम संस्कार में इस महिला को अपने पति की चिता को मुखाग्नि क्यों देनी पड़ी.

प्रयागराज के फूलपुर से तकरीबन 8 किलोमीटर पहले मोहम्मदपुर गांव की रहने वाली कंचन मिश्रा के पति की बीमारी की वजह से डेथ हो गई थी. कंचन मिश्रा की पांच बेटियां हैं, जो प्रदेश के अन्य जिलों में रहती हैं. इस वजह से उनको आने में समय लग रहा था. वहीं, मृतक गुरु नारायण मिश्रा के अपने भाई थे, लेकिन परिवार में किसी से विवाद था और यही वजह रही कि वे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए.

48 घंटे तक का इंतजार

कहा जाता है कि पारिवारिक लड़ाई किसी की मौत के बाद समाप्त हो जाता है और हर कोई एक दूसरे के अंतिम संस्कार में शामिल होकर हर रीति-रिवाज को अदा करता है. सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब परिवार में अपने किसी की डेथ हो जाती है, लेकिन अपनों के रहते हुए कोई भी अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो तो सबसे ज्यादा दुख उस महिला को होता है, जिसके पति का देहांत हो चुका हो.

कुछ ऐसा ही मामला प्रयागराज के फूलपुर से 8 किलोमीटर पहले मोहम्मदपुर गांव में सामने आया है. गांव के रहने वाले गुरु नारायण मिश्रा की 5 बेटियां हैं, जिसमें से 4 बेटियों की शादी हो चुकी है. गुरु नारायण मिश्रा कैंसर से पीड़ित थे और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका देहांत हो गया, जिसकी सूचना गुरु नारायण मिश्रा के भाई को दी गई. लेकिन वो लोग भाई के देहांत के बाद ना ही घर आए और ना ही अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

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इसी वजह से मृतक गुरु नारायण मिश्रा की पत्नी कंचन मिश्रा अपनी पति के शव के पास 48 घंटे तक बैठ अपनी चारों बेटियों के आने का इंतजार करती रही. जब उनके बेटियां और दमाद गांव पहुंचे तब गांव वालों की मदद से शव को लेकर रसूलाबाद घाट अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया. चूंकि, परिवार में कोई बेटा नहीं था और पति के भाइयों ने अंतिम संस्कार को करने से इनकार कर दिया था, तो खुद कचन मिश्रा अपने पति के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाते हुए सफेद साड़ी पहन कर अंतिम संस्कार के मंत्र उपचार करने लगी. फिर उन्होंने खुद अपने पति की चिता को मुखाग्नि दी.

कंचन की इच्छा थी कि भाई करे अंतिम संस्कार

भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पुरुष ही अदा करते आए हैं, लेकिन कंचन मिश्रा के सामने यह मजबूरी बन गई कि अपने पति के अंतिम संस्कार की सारी रस्म उन्हें खुद निभानी पड़ी. कंचन मिश्रा की इच्छा थी कि उनके पति के भाई ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करे, क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं था. मगर उनके पति के भाइयों ने ऐसा मुंह मोड़ा कि अपने भाई की मौत के बाद भी घर की तरफ देखा तक नहीं. ऐसे में कंचन मिश्रा को खुद अपने पति के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करनी पड़ी.

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