आशा पति बनी और ज्योति बन गई पत्नी! बदायूं की इन 2 लड़कियों के रिश्ते की अंदर की कहानी जानिए
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है जहां दो युवतियों ने सभी सामाजिक और कानूनी बंदिशों को किनारे रखते हुए एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर जीवनभर साथ रहने की कसम खाई है.
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उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है जहां दो युवतियों ने सभी सामाजिक और कानूनी बंदिशों को किनारे रखते हुए एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर जीवनभर साथ रहने की कसम खाई है. कलेक्ट्रेट परिसर स्थित शिव मंदिर में हुई इस आत्मिक शादी ने न सिर्फ वहां मौजूद लोगों को चौंका दिया, बल्कि एक नई बहस को भी जन्म दे दिया है. आशा और ज्योति नाम की ये दोनों युवतियां पहले लव जिहाद की शिकार हो चुकी हैं और पुरुषों से पूरी तरह से मोहभंग होने के बाद अब जीवनभर एक-दूसरे का सहारा बनने का निर्णय लिया है.
घटना बदायूं के थाना सिविल लाइंस क्षेत्र की है, जहां सोमवार को कचहरी परिसर स्थित एक वकील दिवाकर वर्मा के चेंबर में दोनों युवतियां पहुंचीं और शादी करने की इच्छा जताई. वकील ने कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि भारत में एक ही लिंग के लोगों के बीच विवाह की कानूनी मान्यता नहीं है. इसके बावजूद दोनों ने मंदिर में उपस्थित लोगों की मौजूदगी में एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और पति-पत्नी के रूप में खुद को स्वीकार कर लिया. आशा ने ‘पति’ की भूमिका निभाई, जबकि ज्योति ने ‘पत्नी’ के रूप में शादी की रस्में निभाईं.
आशा और ज्योति ने दावा किया कि उन्हें मुस्लिम लड़कों ने अपना धर्म और नाम छिपाकर प्रेम जाल में फंसाया, शादी का वादा किया लेकिन बाद में धोखा दे दिया. वे कहती हैं कि कानून ने भी उन्हें न्याय नहीं दिया, इसलिए उन्होंने पुरुषों से नाता तोड़ने और जीवनभर साथ रहने का फैसला किया. ज्योति ने कहा, "हम समाज की परवाह नहीं करते, हमारे लिए अब एक-दूसरे का साथ ही सब कुछ है. परिवार साथ देगा तो ठीक, नहीं तो भी हम साथ रहेंगे." वकील दिवाकर वर्मा के अनुसार, संविधान समानता और स्वतंत्रता का अधिकार देता है, ऐसे में जब तक किसी की मर्जी के खिलाफ कुछ न हो, तब तक हर नागरिक को अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का अधिकार है.