चंदौली: पशुओं में लंपी संक्रमण को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड पर! जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

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इन दिनों पशुओं में लंपी वायरस का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिसको लेकर पशु चिकित्सा विभाग अलर्ट मोड पर है. लंपी वायरस के चलते पशुओं की लगातार मौतें हो रही हैं और पशु पालक परेशान हैं. ऐसे में धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है. जिला प्रशासन की तरफ से बकायदा एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि अगर किसी भी पशुपालक को उनके पशुओं में इस बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो वह तत्काल पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें और उनका इलाज कराएं.

पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी बीमारी के प्रभावी रोकथाम एवं जागरूकता के सम्बंध में बताते हुए नवागत जिलाधिकारी ईशा दुहन ने पशुओं को लंपी स्किन बीमारी से बचाने के लिए पशुपालकों और जनसमान्य से अपील करते हुए कहा है कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें. प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें.

यही नहीं वर्तमान समय में चंदौली के बाहर गोवंश जाने और चंदौली में बाहर से गोवंश आने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है. ताकि चंदौली जनपद में यह रोग न फैलने पाए.

जानिए आखिर क्या है लंपी बीमारी-

यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है. यह बीमारी गोवंशीय एंव महिषवंशीय पशुओं में पाई जाती है. इस रोग का संचरण/ फैलाव/ प्रसार पशुओं में मक्खी, चिचड़ी और मच्छरों के काटने से होता है.

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लंपी बीमारी के मुख्य लक्षण-

इस बीमारी से संक्रमित पशुओं में हल्का बुखार हो जाता है. पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल/ गांठे उभर आती हैं. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत होता है.

बीमारी के रोकथाम एंव नियंत्रण के उपाय-

अगर आपका पशु इस बीमारी से ग्रसित हो गया है, तो इस बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें. साथ ही पशुओं को मक्खी, चिचड़ी और मच्छर के काटने से बचाने किस दिशा में काम करें. यही नहीं पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करें और डिसइन्फैक्शन का स्प्रे करते रहें. संकमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें. अगर इस बीमारी से किसी की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें.

लंपी संक्रमण से बचने के पशुओं को दें यह औषधियां-

लंपी संक्रमण से बचाने के लिए पशुओं को आंवला, अश्वगंधा, गिलोय और मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं. या तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , दालचीनी 5 ग्राम सोठ पाउडर, 5 ग्राम काली मिर्च, 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं. संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कंडे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोबान को डालकर सुबह शाम धुआं करें. पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट और 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें.घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाएं.

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संक्रमण होने के बाद इन देसी औषधियों का करें इस्तेमाल-

अगर आपके पशु को लंपी वायरस का संक्रमण हो जाता है तो, एक मुट्ठी नीम के पत्ते, तुलसी के पत्ते, एक मुट्ठी लहसुन की कली, 10 नग लौंग, 10 नग काली मिर्च, 10 नग जीरा, 15 ग्राम हल्दी पाउडर, 10 ग्राम पान के पत्ते, 5 नग छोटे प्याज, 2 नग पीसकर गुड़ में मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलाएं.

संक्रमण के दौरान खुले घाव के देसी उपचार-

नीम के पत्ते एक मुट्ठी, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी, लहसुन की कली 10 हल्दी पाउडर 10 ग्राम, नारियल का तेल 500 मिलीलीटर को मिलाकर धीरे-धीरे पकाएं और ठंडा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाएं. साथ ही किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर संपर्क करके उपचार कराएं. किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वंय न करें. लंपी बीमारी से बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को टीका फ्री लगाया जा रहा है. सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीका जरूर लगवाएं.

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