अपराध के आंकड़े आए तो अखिलेश बोले- सच से आंखें न मूदें, NCRB की रिपोर्ट पढ़ें तो पुलिस बोली- हमारा क्राइम कंट्रोल सबसे अच्छा
NCRB 2023 के आंकड़ों पर UP में घमासान. अखिलेश यादव ने महिलाओं के खिलाफ सर्वाधिक अपराध दर्ज होने पर योगी सरकार को घेरा. जानिए क्यों यूपी पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही है और राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन का दावा कर रही है.
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उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के शासन काल में अपराध दर पर नियंत्रण के लंबे चौड़े दावे किए जाते रहे हैं. योगी सरकार इसे अपने कार्यकाल की सबसे बेहतर उपलब्धि बनाकर पेश करती रही है. इस बीच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 के आंकड़े जारी किए गए हैं. अब इन आंकड़ों को अलग-अलग नजरिए से पेश किया जा रहा है. एक तरफ समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने यूपी में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के सर्वाधिक केस दर्ज होने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. वहीं, दूसरी ओर यूपी पुलिस क्राइम कंट्रोल में नेशनल एवरेज से बेहतर प्रदर्शन करने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रही है.
पहले जानिए अखिलेश ने क्या दावा किया
अखिलेश यादव ने देशभर के अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के राज्यवार आंकड़ों पर आधारित एक इंफोग्राफिक्स एक्स पर पोस्ट किया है. इसके साथ उन्होंने लिखा है कि, 'सच से आँखें नहीं मूँदनी चाहिए, कभी NCRB की रिपोर्ट भी पढ़नी चाहिए. चारण समान अपना स्तुति गान स्वयं बघारना शोभा नहीं देता. एकालाप अच्छा नहीं.' इस पोस्ट को यहां नीचे देखा जा सकता है.
अखिलेश यादव किस आंकड़े की बात कर रहे हैं?
असल में पिछले दिनों नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) 2023 के आंकड़े जारी हुए हैं. NCRB की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ लगभग 4.5 लाख (4,48,211) अपराध दर्ज किए गए. यह संख्या 2022 और 2021 की तुलना में थोड़ी ज़्यादा है. देश भर में हर एक लाख महिलाओं पर औसतन 66.2 अपराध दर्ज हुए हैं. इस कैटिगरी में सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश (66,381) में दर्ज हुए हैं. इसके बाद महाराष्ट्र (47,101) और राजस्थान (45,450) का स्थान है. अखिलेश यादव की एक्स पोस्ट में यही आंकड़े देखे जा सकते हैं.
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यूपी पुलिस का दावा- प्रदेश में अपराध नियंत्रण राष्ट्रीय औसत से बेहतर
उधर यूपी पुलिस ने इन्हीं आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि प्रदेश का अपराध नियंत्रण राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023 में यूपी का अपराध दर 181.3 रहा, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 270.3 दर्ज की गई. देश की 16.98% आबादी उत्तर प्रदेश में रहती है, इसके बावजूद राज्य में अपराध दर कई श्रेणियों में राष्ट्रीय औसत से काफी कम पाई गई है.
पीटीआई की एक रिपोर्ट में यूपी पुलिस ने एनसीआरबी रिपोर्ट को कोट करते हुए बताया है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दर्ज कुल अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में 20वें स्थान पर रहा. हत्या के मामलों में प्रदेश 29वें स्थान पर रहा. यहां अपराध दर 1.4 रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 2 है. हत्या की कोशिश के मामलों में यूपी 30वें स्थान पर रहा, जहां अपराध दर मात्र 1.4 रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.1 दर्ज हुआ. फिरौती के लिए अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में यूपी 36वें स्थान पर रहा और अपराध दर लगभग शून्य रही.
संपत्ति से जुड़े अपराधों में भी उत्तर प्रदेश ने बेहतर नियंत्रण दिखाया. चोरी-डकैती से संबंधित आंकड़े बताते हैं कि राज्य 34वें स्थान पर रहा, जहां ‘चोरी’ (Burglary) की दर 2.9 रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 7.7 है. ‘लूट’ (Robbery) में यूपी 26वें नंबर पर रहा, जहां अपराध दर 0.6 रही, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 1.9 है. ‘डकैती’ के मामलों में भी राज्य 36वें स्थान पर रहा और अपराध दर लगभग शून्य दर्ज हुई.
पुलिस का दावा- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में गिरावट
इसी दावे में बताया गया है कि एनसीआरबी डेटा के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों में यूपी राष्ट्रीय औसत से नीचे है. राज्य में अपराध दर 58.6 रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 66.2 था. वहीं बच्चों के खिलाफ अपराधों में यूपी 29वें स्थान पर रहा, जहां दर 22.1 रही, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 39.9 रही. पॉक्सो (POCSO) से जुड़े मामलों में भी अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम दर्ज की गई.
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने इस उपलब्धि का श्रेय राज्य में अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को दिया. उन्होंने कहा कि आंकड़ा-आधारित रणनीतियां, डेटा एनालिटिक्स, पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल्स की तैनाती और सूक्ष्म स्तर पर प्लानिंग ने अपराध पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभाई है.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी-रोमियो स्क्वॉड को कारगर बताया गया, जबकि ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत अपराधियों के खिलाफ तेज मुकदमेबाजी ने जनता का भरोसा बढ़ाया है. पुलिस का दावा है कि इन कदमों ने न केवल अपराध कम किए हैं, बल्कि लोगों में सुरक्षा की भावना भी मजबूत की है.