बरेली में नमाज के बाद हुए पुलिस लाठीचार्ज में पीटे गए मुस्लिम युवक ने बताया कि वहां आखिर क्या हुआ था?
बरेली में जुमे की नमाज के बाद 'आई लव मोहम्मद' विवाद पर मौलाना तौकीर राजा के आह्वान पर प्रदर्शन हुआ. भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर हिंसक रूप लिया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं.
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Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में जुमे के बाद भारी बवाल मचा. यह बवाल 'आई लव मोहम्मद' विवाद को लेकर था. बताया जा रहा है कि इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के संस्थापक मौलाना तौकीर राजा के कहने पर भीड़ जमा हुई. आरोप है कि प्रदर्शनकारी भीड़ ने जब नारेबाजी करते हुए हिंसक रूप लिया, तब पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस ने कहा है कि बिना परमिशन के प्रदर्शन हो रहा था. फिलहाल मौके पर एडीजी बरेली रमित शर्मा के साथ-साथ जिले के एसएसपी अनुराग आर्य मौजूद हैं. शहर के चप्पे-चप्पे पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है. इस बीच यूपी Tak ने लाठीचार्ज के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों से बात की है. जानें उन्होंने क्या-क्या कहा?
यूपी Tak से बातचीत में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि मौलाना तौकीर रजा के कहने पर आज भीड़ जमा हुई थी. भीड़ ने नारेबाजी की. पुलिस फोर्स भी वहां मौजूद थी. एक दम पता नहीं क्या हुआ पहले पुलिस की गाड़ी हटवाई गई. उसके थोड़ी देर बाद पुलिस वाले भागते हुए आए. मेरा भाई गिर गया. उसके हाथ पर लाठी मारी. मेरे भी हाथ पर लाठी मारी, मैं गिर गया. मेरे कपड़े फट गए. यह लाठीचार्ज क्यों हुआ, क्या फोर्स हम लोगों को मारने के लिए बुलाई गई थी?
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा हमने फोन पर सुना था कि आज मीटिंग होनी है. पब्लिक यहां आ गई थी. पुलिसवालों ने सब बंद कर दिया था. जाहिर सी बात है जब इतनी पब्लिक आएगी तो गली में तो रुक नहीं पाएगी. मैं तो पीछे ही था. मेरे पैर मैं चोट लगी है.
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यहां वीडियो में देखें प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा?
बरेली के आईजी ने क्या कहा?
बरेली रेंज IG अजय साहनी ने कहा, "हम बरेली में सड़कों पर हैं और स्थिति पूरी तरह सामान्य है. नमाज सकुशल संपन्न हुई. कुछ लोग सड़कों पर नारे लगा रहे थे, पुलिस ने उन्हें वापस भेज दिया है. उपद्रवियों की तस्वीरें और वीडियो बनाए गए हैं. आगे की कार्रवाई की जाएगी."
क्या है यूपी का आई लव मोहममद विवाद?
उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' (I Love Muhammad) विवाद की शुरुआत मुख्य रूप से कानपुर जिले से हुई थी, जो बाद में बरेली, उन्नाव, बागपत और अन्य कई शहरों तक फैल गया. यह पूरा विवाद पैगंबर मोहम्मद के प्रति आस्था व्यक्त करने वाले पोस्टर और बैनरों को लेकर शुरू हुआ.
कानपुर से हुई शुरुआत
विवाद की शुरुआत सितंबर 2025 की शुरुआत में बारावफात (ईद मिलाद-उन-नबी) के जुलूस के दौरान हुई. कानपुर के रावतपुर इलाके में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने जुलूस के रास्ते पर 'आई लव मोहम्मद' लिखे बैनर और पोस्टर लगाए. स्थानीय हिंदू संगठनों ने इन बैनरों पर आपत्ति जताई और इसे एक 'नई परंपरा' बताकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया. पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए बैनर हटा दिए और इस मामले में कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
पुलिस का कहना था कि यह एफआईआर बैनर लगाने के लिए नहीं बल्कि बिना अनुमति सार्वजनिक स्थल पर टेंट लगाने, दूसरे समुदाय के पोस्टर फाड़ने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के लिए दर्ज की गई थी. कानपुर पुलिस की इस कार्रवाई को मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं और संगठनों ने धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया. इसके विरोध में यूपी के कई जिलों (जैसे उन्नाव, बागपत, बरेली) और देश के अन्य राज्यों में 'आई लव मोहम्मद' के समर्थन में जुलूस और प्रदर्शन हुए.
जवाब में 'आई लव महादेव'
विवाद बढ़ने पर कई शहरों में हिंदू संगठनों ने इसके जवाब में 'आई लव महादेव' के पोस्टर लगाकर एक तरह का "पोस्टर वॉर" शुरू कर दिया. इसी कड़ी में ऐसा मामला वाराणसी से सामने आया है.
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