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यूपी में शराब-बीयर की दुकान का लाइसेंस कैसे मिलता है, ये कंपोजिट शॉप लेने का तरीका क्या? सारी डिटेल जानिए

यूपी तक

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति (Excise Policy) लागू कर दी है. इसके पीछे की वजह शराब बिक्री में पारदर्शिता लाना और मिलावट को रोकना है.

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beer & wine shop application process in UP
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उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति (Excise Policy) लागू कर दी है. इसके पीछे की वजह शराब बिक्री में पारदर्शिता लाना और मिलावट को रोकना है. ऐसे में अगर आप उत्तर प्रदेश में शराब की दुकान का लाइसेंस लेना चाहते हैं तो आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा.  इसकी पूरी जानकारी आपको आबकारी विभाग की वेबसाइट या जिला आबकारी विभाग से मिल जाएगी. 

राज्य सरकार शराब बिक्री, लाइसेंस चार्ज और हर बोलत पर मिलने वाले कमीशन के जरिए अच्छी कमाई करती है.  ऐसे में शराब व्यापार में पारदर्शिता लाने के मकसद से यूपी सरकार ने ई-लॉटरी के माध्यम से लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया शुरु कर दी है. अगर आप शराब की दुकान का लाइसेंस लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इससे जुड़ी और अधिक जानकारी आपको आबकारी विभाग की वेबसाइट या जिला आबकारी विभाग से मिल जाएगी. लाइसेंस के लिए आवेदन उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (www.upexcise.in) पर ऑनलाइन जमा करना होगा.


यूपी में कैसे खोल सकते हैं  शराब और बीयर की दुकान

हमारे सहयोगी आजतक की एक रिपोर्ट के मुकाबिक, उत्तर प्रदेश आबकारी नीति 2025-26 के अनुसार कंपोजिट दुकानों पर अंग्रेजी शराब, बीयर और वाइन की बिक्री एक साथ की जा सकेगी. यानी सूबे में कुल शराब की दुकानों की संख्या में जो कमी आई है, उसकी ये वजह है. पहले अंग्रेजी शराब, बीयर और वाइन की अलग-अलग दुकानें होती थीं, जिसे अब एकसाथ खोलने की अनुमति दे दी गई हैजिससे दुकानों की संख्या घटी है. यानी दुकानें बंद नहीं हुई हैं बस उनका विलय कर दिया गया है.  

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ऐसे होगा लाइसेंस का वितरण

उत्तर प्रदेश में शराब (देशी, विदेशी, बीयर) और भांग की दुकानों के लाइसेंस अब ई-लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए जा रहे हैं. पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण (रिन्यूवल) इस बार नहीं होगा. लेकिन वित्तीय वर्ष 2026-27 में लाइसेंस रिन्यूवल का ऑप्शन उपलब्ध होगा. एक व्यक्ति, फर्म या कंपनी पूरे प्रदेश में अधिकतम दो दुकानों का लाइसेंस प्राप्त कर सकता  है.ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि शराब व्यापार में  एकाधिकार (मोनोपॉली) को रोका जा सके.

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