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यूपी के हेमंत जैन में 2001 में खरीदी डॉन दाऊद इब्राहिम की प्रॉपर्टी, 144 फीट की वो दुकान कैसे बनी जी का जंजाल?

सुधीर शर्मा

फिरोजाबाद के 70 वर्षीय हेमंत जैन ने 2001 में मुंबई धमाकों के आरोपी कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम की 144 वर्ग फीट की दुकान इनकम टैक्स विभाग की नीलामी में खरीदी. जानें फिर क्या-क्या हुआ?

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Firozabad News: फिरोजाबाद के 70 वर्षीय हेमंत जैन ने 2001 में मुंबई धमाकों के आरोपी कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम की 144 वर्ग फीट की दुकान इनकम टैक्स विभाग की नीलामी में खरीदी. 23 साल बाद रजिस्ट्री तो हो गई, लेकिन आज भी वह अपनी संपत्ति पर कब्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आइए जानते हैं, यह पूरा मामला क्या है.

2001 में खरीदी गई दाऊद की दुकान

हेमंत जैन, जो फिरोजाबाद के लहरी कंपाउंड में रहते हैं, ने 2001 में एक समाचार पत्र में पढ़ा कि मुंबई के नागपाड़ा इलाके में दाऊद इब्राहिम की जब्त की गई 23 संपत्तियों को इनकम टैक्स विभाग नीलाम करने जा रहा है. इन संपत्तियों में 144 वर्ग फीट की एक छोटी सी दुकान भी शामिल थी. हेमंत ने नीलामी में हिस्सा लिया और 2 लाख रुपये में इस दुकान को खरीद लिया. उन्होंने पूरी रकम का भुगतान भी समय पर कर दिया। लेकिन दुकान पर कब्जा मिलना तो दूर, शुरुआती दिनों में रजिस्ट्री भी नहीं हो पाई.

 

 

रजिस्ट्री में 23 साल की देरी, वजह बना खोया रिकॉर्ड

हेमंत जैन का कहना है कि रजिस्ट्री में देरी का सबसे बड़ा कारण इनकम टैक्स विभाग की मूल पत्रावली का गायब हो जाना था. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य उच्च अधिकारियों को कई दर्जन पत्र लिखे. आखिरकार, दिसंबर 2024 में, लगभग 23 साल बाद, उनकी रजिस्ट्री पूरी हो सकी.

हेमंत ने बताया कि रजिस्ट्री के लिए उन्हें 1,54,000 रुपये का भुगतान करना पड़ा, जिसमें स्टांप ड्यूटी और दंड शामिल थे. हालांकि, रजिस्ट्री पूरी होने के बाद भी उनकी मुश्किलें खत्म नहीं हुईं. 

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दुकान पर कब्जा पाने के लिए संघर्ष जारी

हेमंत जैन का कहना है कि दुकान पर अभी भी दाऊद इब्राहिम के लोगों का कब्जा है. इन लोगों ने वहां खराद की मशीन लगाकर कारोबार शुरू कर रखा है. हेमंत लगातार पुलिस और प्रशासन से अपनी संपत्ति खाली कराने की मांग कर रहे हैं. 

 

 

दाऊद का वर्चस्व खत्म करना था मकसद

हेमंत जैन का कहना है कि उन्होंने यह संपत्ति खरीदकर दाऊद इब्राहिम के डर और वर्चस्व को खत्म करने की कोशिश की थी. हालांकि, मुंबई में उनका कोई कारोबार नहीं है। उन्होंने सिर्फ एक समाचार पत्र में विज्ञापन देखकर इसे खरीदा था. दुकान पर कब्जा दिलाने के लिए हेमंत ने पुलिस और प्रशासन पर कई बार पत्र लिखा है.

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