केवट ने सीखी फोटोग्राफी और दिन के कमाए 6000...महाकुंभ में बुलंदशहर से आए रामपाल की कहानी चौंका देगी

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Mahakumbh News: महाकुंभ मेला जहां एक ओर लोगों को आध्यात्मिक अनुभव के लिए आकर्षित करता था, वहीं दूसरी ओर इसने छोटे दुकानदारों के लिए कमाई का एक बड़ा अवसर भी प्रदान किया. 4

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Mahakumbh News (Photo AI)
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Mahakumbh News: महाकुंभ मेला जहां एक ओर लोगों को आध्यात्मिक अनुभव के लिए आकर्षित करता था, वहीं दूसरी ओर इसने छोटे दुकानदारों के लिए कमाई का एक बड़ा अवसर भी प्रदान किया. 45 दिनों तक चलने वाले इस विशाल आयोजन में ये दुकानदार जरूरी सामान बेचकर और सेवाएं देकर अपनी आजीविका कमा सके. पूरे मेले में घाटों, रास्तों और छोटी गलियों में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजाई थीं. इन दुकानों पर पूजा सामग्री, मूर्तियां, धागे, सिंदूर, चूड़ियां और साहित्य जैसी चीजें उपलब्ध थीं. इसके अलावा, सब्जियां, गोबर के कंडे, लकड़ी, बर्तन, कपड़े और कंबल जैसी वस्तुओं की भी बिक्री हुई. ये दुकानें 4,000 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैली थीं. इस तरह, महाकुंभ ने न केवल धार्मिक महत्व रखा, बल्कि छोटे व्यापारियों के लिए भी आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ. 

बुलंदशहर से आए रामपाल केवट ने कहा कि वह नाविक परिवार से हैं और उसके पिता नाव चलाते हैं, लेकिन महाकुंभ से पहले उन्होंने फोटोग्राफी सीखनी शुरू की और एक कैमरा खरीदा. उन्होंने कहा, "मैं तुरंत प्रिंट निकालने वाला प्रिंटर साथ लेकर चलता हूं. मेले के दौरान मैंने फोटोग्राफी कर प्रतिदिन औसतन 5,000-6,000 रुपये की कमाई की. मैं प्रति तस्वीर 50 रुपये लेता हूं." यह पूछे जाने पर कि उसने इतने पैसे का क्या किया, केवट ने बताया कि वह रोज दिन ढलने के बाद सारे पैसे अपने परिवार को भेज देता था. 

 

 

प्रतापगढ़ जिले से आए अभिषेक ने मेले में रंगबिरंगे धागों की दुकान लगाई थी. इससे पहले वह एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए ड्राइवर का काम करता था. अभिषेक ने बताया, "मैं एक धागा 10 रुपये में बेच रहा हूं चाहे वह किसी भी रंगा का क्यों ना हो। मैंने थोक के भाव में इसे बनारस से खरीदा जहां इसकी लागत 3 रुपये प्रति धागा थी." मालूम हो कि गौरतलब है कि महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को समाप्त हुआ जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई.


 

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