ये लड़ाई बहुत लंबी लड़ी... 69000 शिक्षक भर्ती पर HC के फैसले से अखिलेश को मिला मौका, PDA से जोड़ा
69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के फैसले ने अखिलेश यादव को एक नया राजनीतिक मौका दिया है. जानिए कैसे उन्होंने इस फैसले को लेकर PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) गठबंधन से जोड़ा.
ADVERTISEMENT
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस फैसले का समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वागत करते हुए इसे एक लंबी लड़ाई का परिणाम बताया है. उन्होंने कहा, "मैं कोर्ट का धन्यवाद देता हूं. सरकार को भी लोगों के अधिकार नहीं छीनने चाहिए, क्योंकि ये अधिकार संविधान से मिले हैं."
अखिलेश यादव ने विश्वास जताया कि तीन महीनों के संघर्ष के बाद पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में मिली कामयाबी उन लोगों की जीत है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे थे. उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव पर बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा, "उपचुनाव में जनता पीडीए (प्रगतिशील समाजवादी गठबंधन) को जीत दिलाएगी." उन्होंने विश्वास जताया कि जनता इस बार पीडीए के साथ खड़ी होगी और उन्हें विजय दिलाएगी.
मायवती ने दिया ये रिएक्शन
सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा मामले में कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए बसपा चीफ मायावती ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "उत्तर प्रदेश में 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के भीतर नई सूची बनाने के उच्च न्यायालय के फैसले से यह साबित होता है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता और ईमानदारी से नहीं किया. इस मामले में पीड़ितों, विशेषकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो."
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिसंबर 2018 में जारी हुई इस मेरिट लिस्ट को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ था. अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए थे, खासकर 19 हजार पदों को लेकर आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे. यूपी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी और जनवरी 2019 में परीक्षा आयोजित की गई थी. इस परीक्षा में 4.10 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से करीब 1.40 लाख अभ्यर्थी सफल हुए थे और उसके बाद मेरिट लिस्ट जारी की गई थी. हालांकि, मेरिट लिस्ट जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि आरक्षण के आधार पर जिन अभ्यर्थियों का चयन तय माना जा रहा था, उनके नाम सूची में नहीं थे. इस कारण अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT