सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं. उनकी पार्टी से लगातार पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के इस्तीफा देने के बाद जहां एक तरफ राजभर मऊ में आकर दो दिन तक लगातार गांव-गांव में जाकर पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से मुलाकात कर पार्टी में हुए नुकसान की भरपाई करने की कवायद में जुटे हुए हैं.
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वहीं दूसरी तरफ लगभग 50 लोगों ने एक बार फिर से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से सामूहिक इस्तीफा देकर राजभर की मुश्किलें बढ़ाते हुए उनको एक और बढ़ा झटका दिया है.
इस्तीफा देते समय पार्टी के पदाधिकारियों ने राजभर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि राजभर झूठा नेता है, वह गद्दारी कर रहा है और उनका सम्मान जीरो है. साथ ही वह खदेड़ा हो गए हैं, बखेड़ा हो गए हैं. पार्टी में अब उनको पूछने वाला कोई नहीं है. ओम प्रकाश राजभर पर धन उगाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जितना लूटना था लूट लिए. दूसरे के पैसे पर फॉर्च्यूनर गाड़ी में चल रहे हैं. गरीब के बेटे को टिकट नहीं दिया गया है, जबकि उसकी जगह अब्बास अंसारी को टिकट दिया गया. इससे हम लोग काफी नाराज हैं और आज पार्टी से हम लोग सामूहिक इस्तीफा दे रहे हैं.
घोसी विधानसभा क्षेत्र के लखनी में ओमप्रकाश राजभर से नाराज पार्टी के कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों ने यह सामूहिक इस्तीफा दिया है.
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पार्टी से सामूहिक इस्तीफा देने वालों में शामिल एसबीएसपी के जिला उपाध्यक्ष रामू चौहान ने बताया कि जब से पार्टी बनी है तब से लाठी-डंडा और झंडा लेकर ढोने का काम करते हैं. हमने पार्टी इसलिए थोड़ी है, क्योंकि जब रामजीत राजभर जिला अध्यक्ष थे और महेंद्र राजभर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. वह बोले कि गरीब के बेटे को टिकट देकर विधायक बनाया जाए और वह सड़क से सदन तक लड़ने का काम कर रहा था, लेकिन गरीब के बेटे को टिकट न देकर अब्बास अंसारी को टिकट दे दिया गया.
उन्होंने आगे कहा कि वह पैसा लेते हैं लेकिन टिकट नहीं देते हैं इसीलिए हम लोग उनसे नाखुश. ओम प्रकाश राजभर द्वारा यह कहा जाना के पार्टी में सब कुछ ठीक है. इस सवाल के जवाब पर कहा कि जब लोमड़ी अंगूर नहीं पाती है तो कहती है कि वह खट्टा है, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे. अपने भाषण देते हैं और अपने हंसते हैं. उनकी बात को हम लोग समझ गए हैं और हम लोग उनसे सहमत नहीं हैं. हमारे साथ सैकड़ों लोग इस्तीफा दे रहे हैं. हम किसी के दबाव में पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं और हमारी विचारधारा नहीं मिल रही है, इसलिए हम पार्टी छोड़ रहे हैं.
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