सपा-आरएलडी गठबंधन में टकराव? अब नई रणनीति पर हो रहा काम, जानिए जयंत चौधरी का प्लान

सत्यम मिश्रा

26 May 2023 (अपडेटेड: 26 May 2023, 12:42 PM)

Uttar Pradesh News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी से राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गईं हैं. लोकसभा चुनाव को ज्यादा से ज्यादा सीटें…

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Uttar Pradesh News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी से राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गईं हैं. लोकसभा चुनाव को ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने को लेकर राजनीतिक पार्टियां लगातार रणनीति बना रही हैं. वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्षी दल लगातार एक दूसरे से मेलजोल बढ़ा रहे हैं. इसी बीच समाजवादी पार्टी संग गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की तरफ से ऐसा बयान आया है, जो नए तरह के सियासी संकेतों की तरफ इशारा कर रहा है. RLD के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा है कि ऐसी 12 सीटें हैं, जहां उनकी पार्टी जीतने की ताकत रखती है और 12 सीटों पर किसी को भी हरा या जिता सकती है. यानी एक तरह से आरएलडी ने 2024 के चुनावों के लिए अपनी बार्गेनिंग पावर की एक झलक दिखाने की कोशिश की है.

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आरएलडी ने इस बाबत लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया है. यहां विस्तार से नए सियासी समीकरणों पर बात की गई है. इन बातों से समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव की भी टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि पिछले दिनों यह भी खबरें आईं कि आरएलडी और कांग्रेस के बीच भी बातचीत जारी है. आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी पीसी में भी खुलकर विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस को साथ लाने की वकालत की है. ऐसे में अगर आरएलडी लोकसभा चुनावों के लिए सपा के साथ सीटों को लेकर कड़ी बार्गेनिंग करती नजर आए तो इसमें चौंकने वाली बात नहीं होगी.

लोकसभा चुनाव की तैयारी

आपको बता दें कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय लोक दल ने लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीतियों के साथ- साथ बीजेपी को रोकने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक होने कि अपील करते हुए साथ लड़ने की बात कही. वहीं यूपी तक ने लोकसभा चुनाव में RLD की रणनीति को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय से बातचीत की. रामाशीष राय ने यूपी तक को बताया कि, ‘पहली बार आरएलडी 112 प्रत्याशी नगर निकाय चुनाव में जीते. इससे यह साफ हो गया है आरएलडी अब सिर्फ गांव की पार्टी नहीं रह गई है. क्योंकि नगर पालिका औऱ महानगर पालिका में हमारे उम्मीदवार जीत कर आए हैं औऱ इसके पीछे का कारण हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी हैं. जो पिछले 1 साल से जमीनी स्तर पर काम करते हुए जनमानस के मुद्दों को उठा रहे थे. हाथरस से लखीमपुर खीरी तक केे मामले में जयंत चौधरी जी ने संघर्ष किया और इसी का नतीजा है कि हमने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया.

सपा-आरएलडी गठबंधन में टकराव?

RLD प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने बताया कि, ‘निकाय चुनवा के एन वक्त पर सपा ने तमाम सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए जबकि हम लोग मिलकर निकाय चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव ने सब को टिकट बांट दिया. यहां तक कि जो बागपत है वहां पर भी अपने प्रत्याशी उतार दिए. इसी कारण से हम लोग पश्चिम में बहुत कम वोटों से हार गए क्योंकि सपा ने अपने उम्मीदवार हमारे सामने उतार दिए थे.’ रामाशीष राय ने बताया कि, ‘सपा के साथ हमाला गठबंधन विधानसभा चुनाव के लिए किया गया था लेकिन हम चाहते हैं कि आगे भी लोकसभा में भी गठबंधन चलता रहे. ताकि लोकतंत्र को मिलकर बचाया जा सके. जहां तक लोकसभा चुनाव की बात है तो बिना एक साथ मिलकर बहुमत में नहीं आया जा सकता.’

उन्होंने बताया कि, ‘यूपीए और एनडीए का मोर्चा अभी तक देश में दिखाई पड़ रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सक्रियता से उनका का दायरा बढ़ रहा है और तमाम राजनीतिक दलों ने एक साथ मिलकर लड़ने की सहमति बना दी है और आने वाले लोकसभा चुनाव में सब मिलकर भाजपा को हाराएंगे.

अब नई रणनीति पर हो रहा काम

यूपी तक को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि,इस बार नीतीश कुमार बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश कि किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यानी कि दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, एक बिहार से और एक उत्तर प्रदेश से. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि यूपी में किस सीट से वह चुनाव लड़ेंगे. रामाशीष राय बताते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव कांग्रेस को अलग-थलग करके नहीं लड़ा जा सकता है क्योंकि कांग्रेस एक बड़ा दल है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में आरएलडी के पास 12 ऐसी सीटें हैं,
जहां वह किसी को भी हरा सकती है और जीता सकती है.’

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