आजम खान नाराज हो गए तो अखिलेश यादव को कितना नुकसान होगा? असली स्ट्रैटिजी तो पहले ही बन गई, समझिए

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान करीब दो साल जेल में रहने के बाद रिहा हो गए. लेकिन उनकी पार्टी में स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही. पिछले कुछ समय से राजनीतिक हलकों में लगातार यह चर्चा थी कि क्या आज़म खान सपा छोड़कर बसपा का रुख कर सकते हैं.

Akhilesh and Azam

यूपी तक

24 Sep 2025 (अपडेटेड: 24 Sep 2025, 12:33 PM)

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करीब दो साल जेल में रहने के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान आखिरकार रिहा हो गए, लेकिन उनकी पार्टी में स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही. पिछले कुछ समय से राजनीतिक हलकों में लगातार यह चर्चा थी कि क्या आज़म खान सपा छोड़कर बसपा का रुख कर सकते हैं, क्या वे अखिलेश यादव से नाराज़ हैं, और क्या उनके बाहर आने से सपा की मुस्लिम राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आ सकता है. वैसे अखिलेश यादव ने आजम खान की रिहाई के बाद खुशी जाहिर करते हुए ये जरूर कहा है कि सपा सरकार बनी तो उनपर सारे मुकदमे वापस लिए जाएंगे. हालांकि खुद आज़म खान ने रिहाई के बाद मीडिया के सवालों पर बहुत सफाई से कहा - 'अभी-अभी जेल से निकला हूं, अभी बात (अखिलेश यादव से) नहीं हुई.'

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अखिलेश की 'PDA' सियासत में नए चेहरे

सवाल यह है क्या आज़म खान पर अखिलेश की कोई निर्भरता बची है या अब रणनीति बदल चुकी है? अखिलेश यादव ने बीते कुछ सालों में सपा में कई ऐसे मुस्लिम नेताओं और चेहरों को ग्राउंड पर आगे बढ़ाया है, जिनकी अपनी सियासी जमीन मजबूत मानी जाती है. पूर्वांचल में अफजाल अंसारी, पश्चिमी यूपी में इकरा हसन, मुरादाबाद-संभल में जियाउर रहमान बर्क, कानपुर में इरफान सोलंकी, ये वो नाम हैं जिन्होंने न सिर्फ अपने क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ बनाई बल्कि मुस्लिम समुदाय में भी अपनी साख बढ़ाई. चुनावी आंकड़ों की बात करें तो 2024 में सपा के पास जिन पांच मुसलमानों को लोकसभा टिकट मिला, वे सभी सीटें सपा ने जीत लीं. यही वजह है कि आज़म खान के हस्तक्षेप के बिना भी अखिलेश यादव का 'PDA' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण मजबूत नजर आ रहा है.

रामपुर में बदलता समीकरण और आज़म खान की चुनौती

कभी रामपुर को आज़म खान का अभेद्य किला माना जाता था, मगर बीते उपचुनाव और विधानसभा उपचुनाव में आज़म खान के प्रिय नेता तक हारते दिखे. यहां तक कि उनके बेटे को भी हार का सामना करना पड़ा और रामपुर में मोहिबुल्ला नदवी जैसे नए मुस्लिम चेहरे की ग्राउंड पकड़ बनती गई. स्पष्ट है कि अब सपा में मुस्लिम नेतृत्व एकाधिकार का मुद्दा नहीं रहा. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आज़म खान नाराज भी होते हैं, तो पार्टी को क्या नुकसान होगा?

आजम खान के बहाने यूपी की इस नई सियासी कहानी की पूरी पड़ताल करती यूपी Tak की वीडियो स्टोरी यहां नीचे देखिए. 

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