स्वामी मौर्य ने ढूंढा नया सियासी ठिकाना? चंद्रशेखर आजाद संग मुलाकात के बाद अटकलें तेज, जानें क्या है मामला

लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर आजाद के बीच एक अहम मुलाकात हुई. इस बंद कमरे की बैठक में दोनों नेताओं ने करीब दो घंटे तक बातचीत की.

Swami prasad and Chandra Shekhar

आशीष श्रीवास्तव

• 06:06 PM • 06 Jun 2025

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उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है. राजनीति के बड़े चेहरे और कई बार पार्टी बदल चुके स्वामी प्रसाद मौर्य अब आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के साथ आ सकते हैं. लखनऊ में दोनों नेताओं की हालिया मुलाकात ने सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर आजाद के बीच सामाजिक न्याय और दलित-पिछड़ा वर्ग को एकजुट करने को लेकर लंबी बातचीत हुई.  दोनों नेताओं की विचारधारा मिलती-जुलती मानी जाती है. माना जा रहा है कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य, आजाद समाज पार्टी में शामिल होते हैं, तो उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. यह कदम उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया समीकरण बन सकता है.

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लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर आजाद के बीच एक अहम मुलाकात हुई. इस बंद कमरे की बैठक में दोनों नेताओं ने करीब दो घंटे तक बातचीत की. स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमारे और चंद्रशेखर आजाद के विचार एक जैसे हैं. हम दोनों सामाजिक बदलाव और मिशन के लिए काम कर रहे हैं. बीजेपी के खिलाफ 2027 के चुनाव में हम किसी भी दल के साथ खड़े हो सकते हैं. अभी दरवाजे खुले हैं, और जो हमारे विचारों से मेल खाएगा, हम उसके साथ चलेंगे.'  

बसपा को लेकर कही ये बात

स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस मौके पर बहुजन समाज पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, 'बसपा अपने मूल मिशन से पूरी तरह भटक चुकी है. पहले उनका नारा था जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी, लेकिन अब यह बदलकर जिसकी जितनी तैयारी, उतनी हिस्सेदारी हो गया है. इसका मतलब है कि जो सक्षम है, वही हिस्सेदारी लेगा. अब बसपा में दलितों का हित नहीं रह गया है. चार बार सत्ता में रहने वाली पार्टी के पास आज सिर्फ एक विधायक बचा है, यह सोचने वाली बात है.'
  
मौर्य ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती पर भी तंज कसा और कहा, 'मायावती भले ही हमें बरसाती मेंढक कहें, लेकिन आज बसपा से निकले हुए लोग ही उनके सामने खड़े हैं.' सपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, 'सपा और बीजेपी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं' एक ने राम मंदिर बनवाया, तो दूसरे ने शालिग्राम की स्थापना की' एक ने आरक्षण खत्म किया, तो दूसरे ने प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया. दोनों दलों की नीतियां एक जैसी हैं.'  

कैसा है स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर?

स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर बेहद विविध रहा है. वह बसपा में लंबे समय तक रहे और मायावती सरकार में मंत्री भी बने. इसके बाद बीजेपी में शामिल हुए और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. 2022 के चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी छोड़ी और सपा में शामिल होकर फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. फिलहाल वह अपनी खुद की पार्टी 'जनता पार्टी' के अध्यक्ष हैं. लेकिन इस पार्टी का प्रभाव सीमित ही रहा है.

ऐसे में मौर्य वाकई अगर आजाद समाज पार्टी में शामिल होते हैं तो यह बसपा और सपा दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गठजोड़ दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटों का एक नया ध्रुवीकरण कर सकता है, जिससे राज्य के पारंपरिक दलों को चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है. आने वाले समय में यह गठजोड़ यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है.

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