UP News: उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों जातीय समीकरणों और संगठनात्मक अनुशासन को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. यूपी Tak के विशेष शो 'आज का यूपी' में हम विश्लेषण करेंगे उन तीन बड़ी खबरों का, जिन्होंने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हलचल मचा दी है. ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर प्रदेश अध्यक्ष की झाड़ के बाद विधायक पीएन पाठक का वह ट्वीट जिसे सीधे तौर पर पंकज चौधरी को जवाब माना जा रहा है. क्या ब्राह्मणों को दी गई यह नसीहत दरअसल ठाकुर विधायकों और अन्य बिरादरियों के लिए भी एक बड़ा संकेत है? सात बार के सांसद और नए प्रदेश अध्यक्ष के इस सख्त तेवर के पीछे क्या दिल्ली (शीर्ष नेतृत्व) का हाथ है?
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पीएन पाठक का पोस्ट- 'ब्राह्मण समाज का मार्गदर्शक है, विभाजक नहीं'
यूपी में ब्राह्मण विधायकों की बैठक के चार दिन बाद मेजबान विधायक पीएन पाठक (पंचानन पाठक) ने खामोशी तोड़ी है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है. पाठक ने लिखा कि ब्राह्मण समाज का मार्गदर्शक, विचारक और संतुलनकर्ता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां ब्राह्मण एकत्र होते हैं. वहां चिंतन का मंथन होता है, विभाजन नहीं.
जानकारों का मानना है कि यह ट्वीट सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के उस बयान का जवाब है, जिसमें उन्होंने ऐसी बैठकों को अनुशासनहीनता और जातिवादी राजनीति करार दिया था. पाठक ने अपने शब्दों से यह स्पष्ट कर दिया कि यह बैठक किसी गुटबाजी के लिए नहीं, बल्कि हिंदू अस्मिता को सशक्त करने के लिए थी.
ठाकुर विधायकों के लिए अलर्ट! 2024 की गलती सुधारने की कोशिश?
शो में इस बात का भी गहराई से विश्लेषण किया गया कि यह नसीहत सिर्फ ब्राह्मणों तक सीमित नहीं है. दरअसल, निशाना उन ठाकुर विधायकों पर भी है जो अक्सर अपनी कुटुंब बैठकें करते हैं. याद रहे कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ठाकुर समाज की पंचायतों ने पश्चिमी यूपी में बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया था.
पंकज चौधरी का यह सख्त रुख एक संदेश है कि अब पार्टी के भीतर किसी भी जाति विशेष की समानांतर सत्ता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ठाकुरवाद के आरोपों से घिरी सरकार और संगठन अब अपनी छवि सर्वसमावेशी बनाने की कवायद में है ताकि विपक्षी दलों को जाति के आधार पर घेरने का मौका न मिले.
पंकज चौधरी का बढ़ता इकबाल! क्या यह दिल्ली का सीधा संदेश है?
पंकज चौधरी सात बार के सांसद हैं और अनुभव के मामले में कई दिग्गजों से सीनियर हैं. जिस तरह से उन्होंने दो बार सार्वजनिक रूप से विधायकों को चेतावनी दी, उससे साफ है कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व (पीएम मोदी और अमित शाह) का पूरा समर्थन हासिल है.
यह बैठकें उस समय हुईं जब सभी जनप्रतिनिधियों को मतदाता पुनरीक्षण (SIR) के काम में जुटने का निर्देश था. संगठन का मानना है कि ऐसे समय में जातीय डिनर डिप्लोमेसी करना अनुशासन के खिलाफ है. अब यह तय माना जा रहा है कि पंकज चौधरी के नेतृत्व में संगठन पूरी तरह से 'डिसीसिव' मोड में रहेगा और किसी भी दबाव की राजनीति को जगह नहीं मिलेगी.
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