Saharanpur News: सहारनपुर के जिला महिला चिकित्सालय में लापरवाही और अव्यवस्था का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. यहां सामान्य प्रसव कक्ष (जनरल लेबर रूम) का एक तीन सेकंड का वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें लेबर रूम में लाइट कटने पर वहाँ पर मौजूद स्टाफ मोबाइल टॉर्च की रोशनी में कुछ काम करते नजर आ रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि बिजली गुल होने के दौरान नॉर्मल डिलीवरी कक्ष में अंधेरा हो गया और मजबूरी में स्टाफ को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में कार्य करना पड़ा. इस दौरान न तो जनरेटर समय से चालू हुआ और न ही इनवर्टर ने साथ दिया.
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इस मामले में CMS इंदिरा सिंह ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया की अस्पताल में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, अचानक बिजली जाने पर किन्हीं कारणों से इनवर्टर को चालू होने में एक दो मिनट का समय लग गया होगा और जनरेटर को भी चालू होने में 5 से 7 मिनट लग सकते हैं. संभव है कि उसी दौरान किसी ने यह वीडियो बना लिया हो. उनका कहना था कि अगर अचानक लाइट चली जाती है और किसी कारण से इन्वर्टर चालू होने में थोड़ी देर लग जाती है तो मजबूरी में अस्थायी रूप से टॉर्च का इस्तेमाल किया जाता है. उनका दावा है कि अस्पताल में इनवर्टर और जनरेटर दोनों लगे हैं जो बिल्कुल सही काम कर रहे हैं.
वहीं, CMO प्रवीण कुमार ने फोन पर जानकारी देते हुए कहा कि वह इस वीडियो की जांच करवाएंगे और देखेंगे कि आखिर क्या वजह रही जिसके चलते टॉर्च जलानी पड़ी. दूसरी ओर अस्पताल में भर्ती मरीजों ने भी यहां की अव्यवस्थाओं की पोल खोली है. बादशाहपुर से आई अंजुम ने बताया कि यहां बिजली की गंभीर समस्या है, कभी 20 मिनट तो कभी 25 मिनट तक लाइट गायब रहती है और इस दौरान मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में मच्छरों की समस्या बहुत ज्यादा है.
छिदबना से आई आसपा ने कहा कि यहां कई बार दो-दो घंटे तक बिजली नहीं रहती और लंबे समय तक अंधेरे और गर्मी में रहना पड़ता है, मच्छर काटते हैं और स्टाफ केवल यह कहकर टाल देता है कि बिजली की समस्या चल रही है. मरीजों का कहना है कि इस तरह की व्यवस्थाओं में जच्चा-बच्चा दोनों की जिंदगी खतरे में रहती है, जबकि अस्पताल प्रशासन इस मामले को सामान्य बताने की कोशिश कर रहा है. वायरल वीडियो ने यह साफ कर दिया है कि जिला महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में खामियां हैं और मरीजों की शिकायतें केवल अनसुनी नहीं की जा सकतीं.
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