हाई कोर्ट ने कहा, ‘किसी भी भारतीय महिला के लिए अपने पति को साझा करना स्वीकार्य नहीं है’

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि किसी भी भारतीय महिलाओ के लिए अपने पति को साझा करना स्वीकार नहीं…

पंकज श्रीवास्तव

• 04:15 AM • 03 May 2022

follow google news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि किसी भी भारतीय महिलाओ के लिए अपने पति को साझा करना स्वीकार नहीं हो सकता. अगर उसे ये पता चल जाए कि उसका पति शादीशुदा है और एक और शादी की तैयारी कर रहा हो, तब उससे समझदारी की उम्मीद करना असंभव होता है. यह बात जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने निचली अदालत के एक आदेश को सही ठहराते हुए कही है.

यह भी पढ़ें...

हाई कोर्ट ने इस मामले में याची पति सुशील कुमार के लिए कहा है कि यह आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराधी प्रतीत होता है. आपको बता दें कि वाराणसी के मंडुआडीह थाने में आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी. इस मामले में में पत्नी ने खुदकुशी कर ली थी.

महिला के घरवालों ने उसके पति समेत ससुराल वालों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था. कोर्ट ने याची सुशील कुमार और 6 अन्य की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि भारतीय पत्नियां अपने पति के लिये बेहद संवेदनशील हैं और महिला के लिए ये बहुत बड़ा झटका होता है कि उसे पता चले कि उसके पति को साझा किया जा रहा है या किसी दूसरी महिला से विवाह करने जा रहा है.

हाई कोर्ट ने कहा कि ये कारण अपने आप सूसाइड करने के लिए पर्याप्त है. पत्नी ने आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी कि पति पहले से ही शादी-शुदा था, जिसके दो बच्चे भी हैं और बिना तलाक लिए तीसरी शादी कर ली उसके बाद उसके साथ मारपीट की जाने लगी व मानसिक प्रताड़ित किया जाने लगा. इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने याची की याचिका खारिज कर दी तो उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है आरोपी के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाए जाने के लिए पर्याप्त सामग्री है. कोर्ट ने कहा कि 2018 में ही पति ने तीसरी शादी कर ली तो ये मुख्य कारण पत्नी की आत्महत्या का है. कोर्ट ने याची और अन्य 6 की याचिका खारिज कर दी है.

    follow whatsapp