भारतीय रेलवे ने दिव्यांग यात्रियों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. देश के लगभग 1300 अमृत भारत रेलवे स्टेशनों को ब्रेल लिपि से लैस किया जाएगा, जिनमें उत्तर मध्य रेलवे के 46 स्टेशन शामिल हैं. यह पहल नेत्रहीन लोगों को स्टेशन पर आसानी से नेविगेट करने में मदद करेगी. स्टेशनों पर ब्रेल नेविगेशन मानचित्र और स्पर्शनीय टाइलें लगाई जाएंगी. बता दें कि स्टेशन पर लगाई जाने वालीं स्पर्शनीय टाइलें पैरों के नीचे महसूस की जा सकेंगी जिससे वे गलत रास्ता अपनाने से बचेंगे. ये चिह्न शौचालय, ओवरब्रिज, लिफ्ट, एस्केलेटर और प्रतीक्षालय में मौजूद होंगे.
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2023 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में कुल 26.8 मिलियन लोग दिव्यांग हैं. इनमें से लगभग 4.5 मिलियन दृष्टिबाधित हैं. साल 2024-25 में कुल 7.15 बिलियन यात्रियों ने भारतीय रेलवे में यात्रा की है. दिव्यांगों की हिस्सेदारी लगभग 1-2% होने का अनुमान है. यानी 14 से 70 लाख विकलांग लोग सालाना ट्रेन से यात्रा करते हैं.
कैसे काम करती है ब्रेल लिपि
स्टेशन पर ब्रेल लिपि के चिह्नों को किताब की तरह उंगलियों से छूकर पढ़ा जा सकता है. ब्रेल लिपि पढ़ने-लिखने की एक विशेष विधि है जिसे नेत्रहीनों या कम दृष्टि वालों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें छोटे उभरे हुए बिंदु होते हैं जिन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है. एक ब्रेल सेल में छह बिंदु होते हैं जो दो स्तंभों में तीन-तीन की पंक्तियों में व्यवस्थित होते हैं. इन बिंदुओं को ऊपर-नीचे करके अलग-अलग आकृतियां बनाई जाती हैं.
ब्रेल लिपि का आविष्कार फ्रांस के लुई ब्रेल ने 1824 में किया था. भारत में इसे भारती ब्रेल कहा जाता है जो हमारी भाषाओं के लिए उपयुक्त भाषा है. स्टेशनों पर ब्रेल नेविगेशन मानचित्र, स्पर्शनीय टाइलें (जिन्हें नेविगेट करने के लिए महसूस किया जा सकता है) और साइनबोर्ड लगाए जाएंगे. ये फर्श पर बनी रेखाएं होंगी जो सीढ़ियों या दरवाजों की ओर इशारा करेंगी. सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि यह पहल 'सुगम्य भारत अभियान' का हिस्सा है जो विकलांग लोगों को मुख्यधारा में लाता है. उन्होंने कहा कि रेलवे की यह पहल न केवल सुविधा प्रदान करेगी बल्कि सम्मान भी प्रदान करेगी.
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