इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 558 सहायताप्राप्त मदरसों के खिलाफ चल रही जांच पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है. यह जांच इकोनॉमिक ऑफेंस विंग द्वारा नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) के निर्देश पर की जा रही थी. यह मामला एनएचआरसी के फरवरी, अप्रैल और जून 2025 के आदेशों का है. इनमें मदरसों पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. यह शिकायत मोहम्मद तल्हा अंसारी नामक व्यक्ति ने की थी. बाद में इस शिकायत के आधार पर अप्रैल में जांच आदेश जारी किया था.
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हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अमिताभ कुमार राय की बेंच ने मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए जांच और संबंधित आदेशों पर रोक लगा दी. कोर्ट ने एनएचआरसी और शिकायतकर्ता दोनों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है.
मदरसा पक्ष से दी गई ये दलील
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मदरसों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि 1993 के प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स एक्ट की धारा 12 के अनुसार NHRC की शक्तियां सीमित हैं. इसके अलावा धारा 36(2) के तहत आयोग साल भर के बाद किसी भी कथित उल्लंघन की जांच नहीं कर सकता. ये भी तर्क दिया गया कि धारा 12-A के जरिए आयोग स्वैच्छिक जांच या पीड़ित की याचिका पर जांच कर सकता है, लेकिन वर्तमान मामले में इस धारा की कोई शर्त लागू नहीं होती.
याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायत में उल्लिखित उल्लंघन की तारीख स्पष्ट नहीं की गई है, इसलिए जांच का वैध आधार नहीं माना जा सकता. इसी कारण याचिकाकर्ता ने पूरे जांच आदेश को गैरकानूनी और अमान्य करने की मांग की है. कोर्ट ने संबंधित विभागों और आयोग से चार सप्ताह में जवाब मांगा है ताकि सभी पक्षों की दलीलें सुनकर आगे की कार्रवाई तय की जा सके.
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