एटा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर ने "यह ओपीडी मेरी है" कह कर की हदें पार, खुद को मानसिक रोगी बता कर पत्रकारों से की बदतमीजी

एटा मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में एक डॉक्टर और पत्रकारों के बीच हुआ विवाद गरमा गया. डॉक्टर ने खुद को ADHD मरीज बताते हुए पत्रकारों से बदसलूकी की और ओपीडी पर मालिकाना हक जताया.

देवेश सिंह

• 06:53 PM • 21 Sep 2025

follow google news

जहां मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान को जीवन रक्षक और मरीजों की सेवा के लिए जिम्मेदार माना जाता है, वहीं एटा मेडिकल कॉलेज एक गंभीर विवाद के चलते अब सुर्खियों में है. कोतवाली नगर क्षेत्र स्थित मेडिकल कॉलेज की ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) में एक डॉक्टर और पत्रकारों के बीच हुए विवाद ने पूरे मेडिकल परिसर को तनावपूर्ण बना दिया.  

यह भी पढ़ें...

ओपीडी में डॉक्टर-पत्रकार टकराव

जानकारी के मुताबिक, कुछ पत्रकार ओपीडी में कवरेज के लिए पहुंचे थे. वहां मौजूद एक चिकित्सक ने पत्रकारों से न सिर्फ बहस की, बल्कि उन्हें अपशब्द कहकर ओपीडी से बाहर निकालने का प्रयास किया. डॉक्टर ने पत्रकारों को यह तक कह डाला कि, "ये ओपीडी मेरी है और बिना मेरी अनुमति कोई यहां प्रवेश नहीं कर सकता."

इतना ही नहीं, डॉक्टर ने अपने व्यवहार को सही ठहराने के लिए खुद को "अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)" से पीड़ित बताया. इस बयान ने स्थिति को और अधिक चिंताजनक बना दिया क्योंकि सवाल यह उठने लगे कि मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को मरीजों की जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई है?

पत्रकारों ने जताई नाराजगी

इस घटना के बाद पत्रकारों में रोष फैल गया. उन्होंने आरोप लगाया कि एटा मेडिकल कॉलेज में कई बार डॉक्टरों का व्यवहार मरीजों और मीडिया के प्रति असम्मानजनक रहा है. पत्रकारों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं पर प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे डॉक्टरों के मन में जवाबदेही का भाव खत्म हो गया है.

पत्रकारों ने यह भी सवाल उठाया कि जब एक डॉक्टर खुद अपनी मानसिक अस्थिरता की बात स्वीकार कर रहा है तो ऐसे में उसे ओपीडी में तैनात करने का फैसला किस आधार पर लिया गया?

चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल

डॉक्टर की इस हरकत के बाद मेडिकल कॉलेज की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं. अगर मीडिया को भी ओपीडी में जाने के लिए अनुमति की जरूरत पड़े, और मरीजों को देखने वाला डॉक्टर ही अशिष्ट व्यवहार करे तो फिर जनता का भरोसा इस व्यवस्था पर कैसे कायम रहेगा?

अस्पताल प्रशासन की चुप्पी

घटना के बाद अब तक अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. इस चुप्पी ने भी लोगों के बीच निराशा और असंतोष को जन्म दिया है. स्थानीय नागरिकों और मरीजों ने मांग की है कि डॉक्टर की मानसिक स्थिति की जांच कराई जाए और अगर आरोप सही हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से हटाया जाए.

यह भी पढ़ें: लाखों रुपये ऑनलाइन गेम में गंवाने के बाद लखनऊ के यश ने दे दी थी जान...अब इस मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    follow whatsapp