उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां 86 साल एक रिटायर्ड सिंचाई अधिकारी की लगभग 60 बीघा पैतृक जमीन को धोखाधड़ी कर बेच दिया गया. यह घटना तब सामने आई जब जमीन के असली मालिक महेश चंद्र मुद्गल के परिवार को इसकी भनक लगी. इस बड़े फर्जीवाड़े ने जिले में हड़कंप मचा दिया है और प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
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औरैया जिले के रामगढ़ के रहने वाले महेश चंद्र मुद्गल मध्य प्रदेश में सिंचाई विभाग में अधिकारी के पद पर कार्यरत थे. सेवानिवृत्ति के बाद वह अपने बेटे के साथ मध्य प्रदेश में ही रहने लगे. लेकिन अपने पैतृक गांव रामगढ़ आते-जाते रहते थे. उनकी पैतृक जमीन जो लगभग 150 साल पुरानी है औरैया जिले की बिधूना तहसील के जागपुर गांव में गाटा संख्या 688 पर 60 बीघा में फैली हुई है.
परिवार के अनुसार, 2024 में कुछ जालसाजों ने फर्जी तरीके से एक "फर्जी महेश चंद्र मुद्गल" तैयार कर उनके नाम से जाली दस्तावेज बनवाए और यह पूरी 60 बीघा जमीन जल सिंह नामक व्यक्ति को बेच दी. इस बिक्री की पहली जानकारी तब हुई जब महेश चंद्र मुद्गल के बेटे को कुछ संदिग्ध गतिविधियों का पता चला. बेटे ने तत्काल अपने पिता को साथ लेकर बिधूना तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई जिसकी एक रसीद भी उन्हें मिली.
शिकायत दर्ज होने के कुछ ही दिनों के भीतर जल सिंह ने फर्जी तरीके से दो और बेनाम (बिक्री पत्र) कर दिए जिससे धोखाधड़ी की गंभीरता और बढ़ गई. इस बीच महेश चंद्र मुद्गल के चचेरे भाई परमेश्वरी पालीवाल लगातार ऑनलाइन रिकॉर्ड्स की जांच कर रहे थे जिसमें महेश चंद्र पालीवाल (मुद्गल) का नाम ही दिख रहा था जिससे उन्हें कोई संदेह नहीं हुआ.
कैसे हुआ खुलासा?
यह पूरा मामला तब खुला जब कुछ लोगों ने महेश चंद्र मुद्गल की जमीन पर खेती करने वाले व्यक्ति से कहा कि फसल कट जाने के बाद खेत खाली कर दें. क्योंकि उन्होंने वह जमीन खरीद ली है. यह सुनकर पूरा परिवार सकते में आ गया. इसकी सूचना तत्काल महेश चंद्र मुद्गल के बेटे को दी गई. बेटे ने बिना देर किए अपने पिता को सभी आवश्यक कागजात के साथ जिला अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाठी के समक्ष प्रस्तुत किया. जिला अधिकारी ने सभी दस्तावेजों का गहनता से अवलोकन किया और तत्काल उपजिलाधिकारी बिधूना को इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए.
बड़े फर्जीवाड़े पर सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि महेश चंद्र मुद्गल जो वर्तमान में लगभग 86 वर्ष के हैं और अपने बेटे की देखरेख में रहते हैं. उनकी मौजूदगी में बिधूना तहसील में एक संगठित रैकेट द्वारा किसी फर्जी व्यक्ति को "महेश चंद्र मुद्गल" के रूप में पेश किया गया. इस फर्जी व्यक्ति के जाली आधार कार्ड का इस्तेमाल कर जल सिंह के नाम पर रजिस्ट्री करा दी गई. यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े में कौन-कौन शामिल है. क्या इसमें तहसील के कर्मचारी भी शामिल हैं? यह गहन जांच का विषय है. फिलहाल मध्य प्रदेश से सेवानिवृत्त हुए 86 वर्षीय सिंचाई अधिकारी महेश चंद्र मुद्गल अपने को सही साबित करने और अपनी पैतृक जमीन वापस पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं.
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