उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कानपुर में अब सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. योगी कैबिनेट ने दोनों शहरों में प्राइवेट इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस कदम का मकसद शहरी और उसके आस-पास के इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है.
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इस परियोजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है और यह एक 'नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल' पर आधारित है. इसका मतलब है कि बस सेवा के संचालन की सारी जिम्मेदारी और जोखिम निजी ऑपरेटरों का होगा. उन्हें बसों की खरीद, ड्राइवर और कंडक्टर की सैलरी, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत भी खुद उठानी होगी. सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए कोई सब्सिडी नहीं देगी, लेकिन बसों का किराया तय करने का अधिकार सरकार के पास ही रहेगा.
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किराया तय करने का अधिकार सरकार के पास
ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट 12 साल के कॉन्ट्रैक्ट के तहत चलेगा. निजी ऑपरेटरों का चयन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा. टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाले ऑपरेटर को चुना जाएगा. हालांकि, शुरुआती लागत काफी ज़्यादा है, मंत्री शर्मा के मुताबिक प्रत्येक इलेक्ट्रिक बस की कीमत करीब 10 करोड़ रुपये होगी.
इन रूट्स पर मिलेगी सेवा
यह सेवा शुरुआती चरण में लखनऊ और कानपुर, दोनों शहरों में क्रमशः 10-9 रूट्स पर चलाई जाएगी. शुरुआत में प्रत्येक रूट पर एक-एक बस चलेगी, जिसे बाद में मांग के अनुसार बढ़ाया जा सकता है.
लखनऊ में इन रूट्स पर चलेगी बसें:
- चारबाग-बाराबंकी
- कमता-एयरपोर्ट
- बालागंज-मोहनलालगंज
- बालागंज-विराज खंड
- घंटाघर-माल पुलिस स्टेशन
- स्कूटर इंडिया-इंजीनियरिंग कॉलेज
- चारबाग-देवा
- चारबाग-कुर्सी
- दुर्गा-गंगागंज
- घंटाघर-संडीला
कानपुर में इन रूट्स पर मिलेगी सर्विस:
- रामादेवी-जहानाबाद
- फज़लगंज-रूरा
- घंटाघर-अकबरपुर
- कानपुर रेलवे स्टेशन-बिंदकी
- कानपुर रेलवे स्टेशन-बिठूर
- कानपुर रेलवे स्टेशन-आईआईटी
- कानपुर रेलवे स्टेशन-घाटमपुर
- घंटाघर-मूसा नगर
- कानपुर सिटी-सर्कुलर रोड
यह प्रोजेक्ट न केवल प्रदूषण कम करने में मदद करेगा, बल्कि नागरिकों को एक आधुनिक और सुगम परिवहन का विकल्प भी प्रदान करेगा.
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