उत्तर प्रदेश के कानपुर से साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां शातिर ठग खुद को डीसीपी क्राइम अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते थे, उनके मोबाइल पर अश्लील वीडियो देखने का झूठा आरोप लगाते थे और गिरफ्तारी व बदनामी का डर बताकर उनसे पैसे ऐंठ लेते थे. इस संगठित साइबर ठगी गिरोह का खुलासा कानपुर पुलिस ने करते हुए दो सगे भाइयों सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. जांच में सामने आया है कि आरोपी जंगलों और खेतों में बैठकर लोगों को कॉल करते थे और पुलिस सायरन की आवाज चलाकर डर का माहौल बनाते थे. इसके बाद वे पीड़ितों से यूपीआई और ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए रकम वसूल करते थे.
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डीसीपी क्राइम की फर्जी कॉल से फैला आतंक
गिरोह का तरीका बेहद खौफनाक था. कॉल करने वाले ने खुद को कानपुर से डीसीपी क्राइम बताया और कहा कि “पुलिस ने तुम्हारे मोबाइल डेटा की जांच की है, रिकॉर्ड में आपत्तिजनक वीडियो देखने की पुष्टि हुई है. मामला दर्ज हो चुका है और टीम तुम्हारे घर रवाना है. अगर गिरफ्तारी से बचना है तो तुरंत पैसे ट्रांसफर करो.” इस तरह की कॉल सुनते ही पीड़ित घबरा जाते और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पैसे भेज देते.
इसी तरह की एक कॉल श्रावस्ती जिले के प्रमोद कुमार को आई. कॉलर ने खुद को कानपुर साइबर क्राइम का अधिकारी बताते हुए गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने और गिरफ्तारी की धमकी दी. शुरुआत में प्रमोद को यह सब सच लगा, लेकिन बाद में उन्हें शक हुआ. कुछ समय बाद प्रमोद ने यह पूरी घटना अपने एक परिचित को बताई. परिचित ने समझाया कि यह मामला साइबर ठगी का है. इसके बाद प्रमोद ने कानपुर साइबर क्राइम थाने पहुंचकर लिखित शिकायत दी, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की.
शिकायत के बाद खुला ठगी का पूरा खेल
प्रमोद की शिकायत पर 17 दिसंबर को कानपुर साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया. जांच के दौरान सामने आया कि यह कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह की करतूत है. यह गिरोह खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को फोन करता था. जांच के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने कार्रवाई करते हुए कानपुर देहात के जंगल और खेतों में छिपकर ठगी कर रहे पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.
डर दिखाकर वसूले गए 46 हजार रुपये
डीसीपी क्राइम अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि प्रमोद को आई कॉल पूरी तरह से एक साजिश थी. कॉलर ने उसे पोर्न वीडियो देखने का दोषी बताते हुए जेल भेजने की धमकी दी. डर के कारण प्रमोद ने माफी मांगी, जिस पर ठगों ने उसे कहा कि अगर गिरफ्तारी से बचना है तो 50 हजार रुपये देने होंगे. जब प्रमोद ने इतनी रकम न होने की बात कही तो ठगों ने जितनी रकम उपलब्ध हो उतनी ट्रांसफर करने को कहा. इसके बाद झांसे में आकर प्रमोद ने यूपीआई के जरिए 46 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए.
बोली से मिला सुराग
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी अब तक करीब सात लोगों को इसी तरह अपना शिकार बना चुके थे. कॉल करने वालों की कानपुरिया बोली और लहजे से पुलिस को अहम सुराग मिला. इसके बाद पुलिस ने कानपुर देहात के गजनेर क्षेत्र में छापेमारी कर मन्नहापुर के निवासी दो सगे भाई सुरेश और दिनेश, दुर्गापुरवा-नारायणपुर के निवासी पंकज सिंह और बर्रा-2 के इलाके के अमन विश्वकर्मा और विनय सोनकर को गिरफ्तार कर लिया है.
सायरन की आवाज से बढ़ाते थे डर
डीसीपी क्राइम के अनुसार आरोपी खेतों और जंगलों में अलग-अलग जगह बैठकर कॉल किया करते थे. गिरोह का एक सदस्य पुलिस अधिकारी बनकर बात करता था, जबकि दूसरा आरोपी मोबाइल में पहले से सेव पुलिस सायरन और गाड़ियों के हॉर्न की ऑडियो क्लिप चलाता था. इससे पीड़ित को लगता था कि पुलिस वाकई उसके घर पहुंचने वाली है. इसी डर का फायदा उठाकर आरोपी क्यूआर कोड, यूपीआई आईडी या ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे मंगवा लेते थे.
पढ़ाई और जानकारी का किया गलत इस्तेमाल
पुलिस के मुताबिक गिरोह का सदस्य पंकज सिंह बीए पास है और सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा है. अमन और विनय इंटर पास, जबकि सुरेश आठवीं पास है. आरोपी अखबारों और सोशल मीडिया से पुलिस अधिकारियों की तैनाती और गश्त से जुड़ी जानकारी जुटाते थे और उसी आधार पर खुद को कानपुर पुलिस कमिश्नरेट का अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते थे. डीसीपी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपियों ने उनके नाम का भी दुरुपयोग किया है. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर गिरोह तक पहुंचा गया है, जबकि कुछ आरोपी अभी फरार हैं.
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