इतिहास का हिस्सा बन चुकी कानपुर की नून नदी, अब कैसे बनी फिर से जीवनदायिनी? यहां गजब हुआ

UP News: कानपुर की नून नदी को फिर से नई जिंदगी मिली है. जानिए यहां कैसे हुआ ये सब?

Kanpur news

सिमर चावला

• 08:10 AM • 08 Aug 2025

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Kanpur News: कभी इतिहास का हिस्सा बन चुकी नून नदी आज फिर से जीवनदायिनी बन चुकी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘एक जिला-एक नदी’ पहल के तहत कानपुर जिले की इस भूली-बिसरी नदी को फिर से जीवंत कर दिया गया है.

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नून नदी, जो कभी बिल्हौर, शिवराजपुर और चौबेपुर के खेतों की सिंचाई करती थी, अतिक्रमण, गाद और जलकुंभी के कारण पूरी तरह सूख चुकी थी. मगर फरवरी 2025 से शुरू हुए पुनर्जीवन अभियान के तहत इसे दोबारा उसकी पहचान दी गई है. 

48 किलोमीटर लंबी नदी के मार्ग की पहचान की गई

मिली जानकारी के मुताबिक, ड्रोन सर्वेक्षण, सैटेलाइट इमेजरी, राजस्व अभिलेख और ग्रामीणों की स्मृतियों की मदद से 48 किलोमीटर लंबी नदी के पुराने मार्ग की पहचान की गई. मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन और जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में यह कार्य सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि जन सहभागिता अभियान में बदल गया.

सीडीओ दीक्षा जैन के अनुसार, 58 ग्राम पंचायतों के सहयोग से लगभग 6,000 श्रमिकों ने नदी की सफाई और खुदाई का कार्य किया. करीब 23 किलोमीटर में यह काम मनरेगा के अंतर्गत हुआ, जिस पर 57 लाख रुपये का खर्च आया.

गंदे पानी पर लगाई रोक

अभियान के तहत नदी में गंदा पानी छोड़ने वाली कई फैक्ट्रियों को नोटिस देकर बंद कराया गया. साथ ही स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी ने इस परियोजना को जन आंदोलन का रूप दे दिया. इस अभियान का परिणाम ये हुआ कि कन्हैया ताल के पास की वीरानगी गायब हो चुकी है. उसकी जगह अब जलधारा की कलकल, बच्चों की खिलखिलाहट और ग्रामीणों की सुबह-शाम की चहल-पहल नजर आती है. नून नदी को फिर से जिंदगी दे दी गई है.

नदी किनारे लगाए गए 40 हजार पौधे

बता दें कि सीएम योगी के निर्देश पर जुलाई के पहले सप्ताह में नदी के किनारे नीम, पीपल, पाकड़ और सहजन जैसे 40,000 से अधिक पौधे रोपे गए. इससे न केवल हरियाली बढ़ेगी बल्कि मिट्टी का कटाव भी रुकेगा.

कानपुर जिलाधिकारी ने ये बताया

इस पूरे अभियान को लेकर कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया, ग्राउंडवाटर पर ज्यादा निर्भर न रहकर सरफेस वाटर का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है. इस पूरी योजना में ये किया गया है. इस तरीके के प्रोजेक्ट से पूरी बायोडायवर्सिटी और एक ईको सिस्टम क्रिएट होता है.

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