झांसी के बराठा गांव के रहने वाले राम सिंह कतरौलिया अपनी पत्नी और बेटियों के साथ शिकायत लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंचे थे. लेकिन यहां पहुंचते ही वह बेहोश होकर गिर गए. इस दौरान पूरे परिसर में चीख पुकार मच गई. यह देख शहर कोतवाली में तैनात सिपाही अवध नरेश ने दौड़ लगाई. फिर तुरंत राम सिंह के सीने को को दबाकर सीपीआर देकर उनकी जान बचा दी. इसके बाद राम सिंह को जिला अस्पताल भिजवाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है. फिलहाल सिपाही अवध सिंह की होशियारी और दरियादिली की हर तरफ तारीफ हो रही है.
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सीपीआर देकर राम सिंह की बचाई गई जान
राम सिंह की बेटी रूबी ने बताया कि उसके पिता राम सिंह अपनी बहू और उसके परिवारों वालों के खिलाफ शिकायत लेकर एसएसपी ऑफिस आए थे. रूबी ने बताया कि उसकी भाभी ने भाई के ऊपर झूठा केस दर्ज कर दिया था. इससे परेशान होकर उसके भाई ने 15 तारीख को आत्महत्या कर ली. रूबी ने बताया कि भाई-भाभी के बीच शादी के बाद से विवाद चल रहा था. उसका कहना है कि जब भाभी शादी करके घर आई तो उसे खून की उल्टी हो रही थी और उसे छाले भी पड़ गए थे. ऐसे में लड़के पक्ष वालों ने धोखा देकर शादी करने का आरोप लगाया तो लड़की पक्ष के लोग गाली-गलौज करने लगे. लड़की पक्ष वालों का कहना था कि उसके साथ ससुराल में मारपीट होती थी. ऐसे में दोनों परिवारों के बीच का ये विवाद कोर्ट पहुंच गया. आरोप है कि 15 तारीख को जब रूबी का भाई कोर्ट की तारीख पर गया तो उसे लड़की पक्ष के लोगों ने बीत रास्ते में रोक लिया. रूबी का कहना है कि उसका भाई ने इससे परेशान होकर अपनी जान दे दी.
बेटे की मौत का लगा है सदमा
ऐसे में बेटे को खो देने की वजह से राम सिंह की तबीयत भी खराब चल रही है. क्योंकि वह बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि जब वह बेटे की मौत की शिकायत लेकर जब वह एसएसपी ऑफिस पहुंचे तो उन्हें अटैक आ गया. लेकिन इस बीच सिपाही अवध सिंह की सूझबूझ ने उनकी जान बचा दी. फिलहाल राम सिंह की हालत स्थिर है और जिला अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. वहीं राम सिंह के परिवार का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए और दोषियों को जेल भेजा जाना चाहिए.
सीपीआर क्या होती है?
सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन एक इमरजेंसी सिचुएशन में जान बचाने की एक प्रक्रिया है. जब किसी व्यक्ति का दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है (कार्डियक अरेस्ट), तो शरीर में खून का दौरा रुक जाता है और दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती. ऐसे में सीपीआर देकर हम बाहर से दबाव डालकर दिल को पंप करते हैं ताकि दिमाग तक खून पहुंचता रहे और इंसान की जान बच सके.
सीपीआर देने के 3 आसान स्टेप्स
1. अगर कोई अचानक गिर जाए और बेहोश हो जाए तो उसके कंधे को थपथपाएं. अगर वह कोई जवाब नहीं दे रहा और सांस नहीं ले रहा तो समझें उसे सीपीआर की जरूरत है. सबसे पहले तुरंत एम्बुलेंस (108/102) को फोन करें.
2. मरीज को किसी सख्त जमीन पर सीधा लिटा दें. अपनी एक हथेली को उसकी छाती के बिल्कुल बीच में रखें और दूसरी हथेली को उसके ऊपर रखकर उंगलियों को आपस में फंसा लें और अपनी कोहनियों को बिल्कुल सीधा रखें.
3. अपने पूरे शरीर का वजन लगाते हुए छाती को बीचों-बीच दबाएं.
कितना दबाना है: लगभग 2 इंच गहरा.
कितनी तेजी से: एक मिनट में कम से कम 100 से 120 बार (यानी एक सेकंड में दो बार).
छाती को दबाने के बाद उसे वापस ऊपर आने दें, फिर दोबारा दबाएं. इस प्रक्रिया को तब तक करना होगा जबतक मरीज में कोई हलचल न दिखे या वह होश में न आ जाए. डॉक्टर या एम्बुलेंस की टीम मौके पर न पहुंच जाए.
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