उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है. इसका जीता-जागता उदाहरण फतेहपुर जिले के डगरइया गांव की रहने वाली रीता देवी हैं. इन्होंने कभी तंगहाली में दिन गुजारे थे, लेकिन आज वे सरकारी मदद और अपनी मेहनत के दम पर तीन तालाबों की मालकिन बन चुकी हैं. रीता देवी की सफलता की कहानी उन लाखों ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो घर की दहलीज के भीतर रहकर अपनी तकदीर बदलना चाहती हैं. ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से जुड़कर रीता ने न केवल खुद को स्वावलंबी बनाया बल्कि अब वे दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.
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कच्चे मकान से शुरू हुआ संघर्ष
मलवा विकास खंड के डगरइया गांव की रीता देवी के पति एक सीमांत किसान हैं. कुछ साल पहले तक परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी. पूरा परिवार एक कच्चे मकान में रहता था और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल होता था. लेकिन रीता ने हार नहीं मानी. एक दिन उन्हें स्थानीय महिलाओं के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन की जानकारी मिली. ये बात उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
1.40 लाख रुपये का लोन और मत्स्य पालन की शुरुआत
2017 में रीता ने गांव की 10 अन्य महिलाओं के साथ मिलकर जय संतोषी मां महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया. समूह से जुड़ने के बाद उन्हें आर्थिक मदद के रास्ते मिले. रीता ने सीसीएल (CCL) फंड से 1 लाख 40 हजार रुपये का लोन लिया. इस पैसे से गांव में ही मत्स्य पालन का काम शुरू करने का फैसला किया. शुरुआत में यह एक जोखिम भरा कदम लग रहा था, लेकिन रीता की मेहनत रंग लाई. आज उनके पास मत्स्य पालन के 3 टैंक (तालाब) हैं. इस व्यवसाय से उन्हें हर महीने औसतन 15 से 20 हजार रुपये की शुद्ध कमाई हो रही है.
बनवाया पक्का घर, अच्छे से चल रही बच्चों की पढ़ाई
मछली पालन से हुई आमदनी ने रीता के जीवन स्तर को पूरी तरह बदल दिया. इस कमाई के पैसों से रीता ने अपना पक्का घर बनवा लिया है. अपने दो बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने उन्हें मुंबई भेज दिया है. रीता ने इनकम बढ़ाने के लिए एक ब्यूटी पार्लर भी खोला है. इससे उनकी आमदनी में और इजाफा हुआ है.
अब मशरूम उत्पादन में आजमा रहीं हाथ, 10 महिलाओं को दिया रोजगार
रीता देवी अब केवल खुद तक सीमित नहीं हैं. वह गांव की दूसरी महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं. मत्स्य पालन में सफलता के बाद, अब वह मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कदम रख रही हैं. इस नए काम के लिए उन्होंने 12 महिलाओं की एक टीम बनाई है. रीता ने अपने उद्यमों के जरिए गांव की 10 अन्य महिलाओं को भी रोजगार दिया है. इससे बाकी महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं. फतेहपुर के एनआरएलएम उपायुक्त मुकेश कुमार बताते हैं कि जिले में अब तक 18344 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है. इनके माध्यम से 1 लाख 95 हजार परिवारों को जोड़ा गया है. रीता देवी जैसी जागरूक महिलाएं इस मिशन की सफलता की असली पहचान हैं.
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