Firozabad News: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद से समाज में उदाहरण पेश करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक किसान ने अपने शव को साल 2015 में दान कर दिया था. अब किसान की 72 साल की उम्र में मृत्यु हुई तो उनके परिवारजनों ने किसान की इच्छा के अनुसार किसान के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया बल्कि उनके शव को मेडिकल कॉलेज में रिसर्च के लिए दान कर दिया.
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ये है मामला
ये पूरा मामला सामने आया है फिरोजाबाद के मठसेना के गोलामई गांव से. यहां रहने वाले 72 साल के आशाराम गुप्ता किसान थे. बताया जाता है कि वह बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उन्होंने 25 फरवरी 2015 को अपना शव दान कर दिया था. मिली जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपने परिजनों को बताया था कि मरने के बाद उनका दाह संस्कार न किया जाए, बल्कि उनके शव को डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को रिसर्च करने के लिए दे दिया जाए.
बेटे ने की पिता की इच्छा पूरी
बता दें कि आसाराम गुप्ता की बीते शुक्रवार को प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी. मृतक के पुत्र पंकज गुप्ता ने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उनके शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. बेटा अपने पिता के शव को एम्बुलेंस से लेकर फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचा.
यहां मृतक के बेटे ने साल 2015 का देहदान सर्टिफिकेट दिखाया. इसके बाद मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने शव को अपने कब्जे में ले लिया. अब यह शव मेडिकल रिसर्च के काम आएगा. यहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र इसपर रिसर्च करेंगे.
पंकज गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपने पिता के शव का अंतिम संस्कार न करके उनकी इच्छा को ही पूरा किया है. शव को अग्नि के सुपुर्द किया जा सकता था, लेकिन उनके पिता की यह मंशा रही कि उनके शव को मेडिकल के छात्रों को रिसर्च करने के लिए दें दे. मैंने उनकी यह इच्छा पूरी की है.
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