बेटे को खोकर सारा धन लुटा बैठा, मानवता फिर भी नहीं कांपी जब एक पिता अपनी औलाद की लाश के लिए हाथ फैला बैठा... पत्थर के इस शहर में इंसानियत अब कहां बाकी, जिगर के टुकड़े के ठंडे शरीर के लिए वो सड़क पर भीख मांग बैठा.. ये पंक्ति यूं ही नहीं लिखी जा रही है. इसके पीछे की कहानी जानकर शायद आप इन पंक्तियों की गहराई को समझ पाएंगे. बदायूं के रहने वाले श्याम लाल का बेटा धर्मवीर रोड एक्सिडेंट में बुरी तरह घायल हो गया. आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे बरेली में रेफर कर दिया. यहां 14 दिन इलाज के बाद 24 साल के धर्मवीर की मौत हो गई. इस इलाज के दौरान धर्मवीर के पिता के सारे पैसे खत्म हो गए. आरोप है कि बेटे की मौत के बाद जब अस्पताल ने भारी भरकम बिल पकड़ाया तो श्याम लाल ने बिल चुकाने में अपनी असमर्थता जताई. आरोप है कि इसपर अस्पताल प्रशासन ने उनके मरे हुए बेटे की लाश देने से ही इनकार कर दिया. इस दौरान एक पिता इतना मजबूर हो गया कि उसे बेटे की लाश के लिए सड़क पर जाकर भीख मांगना पड़ा. हालांकि अस्पताल प्रशासन इससे साफ इनकार कर रहा है.
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बरेली के पीलीभीत बायपास स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान एक 24 वर्षीय युवक की मौत हो गई. मृतक का नाम धर्मवीर है जिसकी उम्र सिर्फ 24 साल बताई जा रही है. दातागंज के रहेने वाले धर्मवीर 1 दिसंबर को रोड़ एक्सिडेंट में बुरी तरह घायल हो गया. उसे बदायूं से बरेली रेफर किया गया. यहां पीलीभीत बायपास स्थित एक निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. लगभग 14 दिनों तक चले इलाज और सिर के ऑपरेशन के बाद भी धर्मवीर की जान नहीं बचाई जा सकी.
भीख मांगकर पिता ने चुकाया मरे हुए बेटे के इलाज का पैसा?
मृतक के परिजनों का आरोप है कि धर्मवीर की मौत के बाद अस्पताल ने ढाई से चार लाख रुपये का भारी-भरकम बिल थमा दिया. परिवार पहले ही इलाज में अपनी जमा-पूंजी खर्च कर चुका था. जब पिता ने बिल चुकाने में असमर्थता जताई तो अस्पताल प्रबंधन ने कथित तौर पर शव सौंपने से मना कर दिया. मजबूर होकर पिता अस्पताल के बाहर सड़क पर कटोरा लेकर खड़ा हो गया. राहगीरों से पैसे मांगकर पिता ने बिल की रकम जुटाई. इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हॉस्पिटल के मैनेजर ने बता दी अलग कहानी
इस पूरे मामले पर जब अस्पताल के मैनेजर रजत पटेल और प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. अस्पताल का दावा है कि मृतक के कुछ रिश्तेदार अस्पताल में ही कर्मचारी हैं जिनकी सिफारिश पर उसे भर्ती किया गया था. अस्पताल का कहना है कि उन्होंने धर्मवीर के इलाज का बिल पहले ही माफ कर दिया था. प्रबंधन ने आरोप लगाया कि भीख मांगने का नाटक सिर्फ बिल माफी के लिए रचा गया एक षड्यंत्र था. उनका कहना है कि अस्पताल ने पैसों को लेकर कोई दबाव नहीं बनाया और अगर कोई शिकायत थी तो पुलिस या लिखित में दी जानी चाहिए थी.
वहीं अस्पताल में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि 'मरीज की हालत शुरू से गंभीर थी और परिवार के पास दवाइयों तक के पैसे नहीं थे. कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी पर मुफ्त दवाइयां भी लगवाईं. उनका कहना है कि अस्पताल ने अंत में पूरा बिल माफ कर दिया था और भीख मांगने वाली बात पूरी तरह गलत है. इसके साथ ही स्टाफ ने कहा कि अस्पताल के सब तरफ कैमरे लगे हैं जिसे चेक किया जा सकता है.
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