उत्तर प्रदेश के आगरा में फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में जिला कलेक्ट्रेट के रिटायर्ड असलाह बाबू सहित सात लोगों के खिलाफ STF ने एफआईआर दर्ज की है.
ADVERTISEMENT
आगरा STF को एक अज्ञात शिकायतकर्ता ने सूचना दी थी कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शस्त्र लाइसेंस बनवाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त में किया जा रहा है. इस शिकायत के आधार पर STF ने लगभग नौ महीने तक गहन जांच की जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. जांच में सामने आया कि जिला कलेक्ट्रेट के रिटायर्ड असलाह बाबू संजय कपूर सहित सात लोग इस घोटाले में शामिल थे.
आरोपियों के खिलाफ सबूत
FIR में सात लोगों को नामजद किया गया है जिनमें मोहम्मद जैद खान, मोहम्मद अरशद खान, राजेश कुमार बघेल, भूपेंद्र सारस्वत, शिवकुमार सारस्वत, शोभित चतुर्वेदी, और रिटायर्ड असलाह बाबू संजय कपूर शामिल हैं.
जैद खान ने शस्त्र लाइसेंस नंबर 1227/03 फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाया था. उनके आवेदन में जन्मतिथि 25 नवंबर 1975 दर्शाई गई, जबकि वास्तविक जन्मतिथि 25 नवंबर 1972 थी. फर्जी शपथ पत्र और गलत जानकारी के जरिए लाइसेंस हासिल किया गया है. इसी तरह अरशद ने फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर पांच शस्त्र लाइसेंस बनवाए. इन लाइसेंसों के जरिए देश-विदेश से हथियार और कारतूस आयात किए गए. STF के नोटिस के बावजूद उन्होंने कोई वैध दस्तावेज या खरीद रसीदें पेश नहीं कीं. न्यू आगरा के जवाहर नगर निवासी राजेश ने गैर-मौजूद पत्रावलियों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया. जांच में उनके पास कोई वैध दस्तावेज या खरीद रसीदें नहीं मिलीं.
शोभित चतुर्वेदी द्वारा खरीदे गए शस्त्रों की भी कोई पत्रावली जिलाधिकारी कार्यालय में नहीं पाई गई. भूपेंद्र सारस्वत, जो लाइसेंस बनवाने के समय 21 वर्ष के नहीं थे उनके शस्त्र लाइसेंस की भी कोई मूल पत्रावली प्रशासनिक अभिलेखों में नहीं मिली. दूसरा लाइसेंस भी बिना वैध जानकारी के जारी किया गया. शिवकुमार सारस्वत, निवासी नगला अजीता, थाना जगदीशपुरा, ने भी अपने पहले लाइसेंस की जानकारी छुपाकर नया शस्त्र लाइसेंस बनवाया. उनके द्वारा खरीदे गए हथियारों की रसीद और स्थान की जानकारी एसटीएफ को नहीं दी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन कथित फर्जी करजातो के आधार पर लाइसेंस बनवाये गए हैं और लाइसेंस की बिना पर जो शस्त्र खरीदे गए हैं इन शस्त्रों की वैधता भी कटघरे में है.
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
STF की जांच में पता चला कि यह नेटवर्क वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के जरिए शस्त्र लाइसेंस बनवाने और अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त में सक्रिय था. कई मामलों में पुराने या गुम लाइसेंसों के नाम पर नए लाइसेंस बनवाए गए.
ADVERTISEMENT
