आगरा के अस्पताल की छत पर लगी टाइल्स पर थी डॉ. आंबेडकर की तस्वीर, खूब मचा बवाल, किसने की ये हरकत?

Agra News: आगरा में अस्पताल की छत पर बाबा साहेब की तस्वीर वाली टाइल्स लगाने को लेकर ASP और बसपा का हंगामा, पुलिस से झड़प, टकराव बढ़ा.

Agra News

सुषमा पांडेय

• 03:32 PM • 25 May 2025

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Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में उस वक्त माहौल तनावपूर्ण हो गया जब यहां के एक निजी हॉस्पिटल की छत पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगी टाइल्स पाए जाने के बाद आजाद समाज पार्टी (ASP) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. यह मामला हरि पर्वत क्षेत्र के देहली गेट इलाके का है, जहां एक निजी नर्सिंग होम में बाबा साहेब की तस्वीर ऐसी जगह पर लगाई गई थी, जहां से लोग गुजरते समय उस पर पैर रखते थे. 

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जैसे ही यह जानकारी सामने आई, नगीन सांसद चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई वाली आजाद समाज पार्टी (ASP) के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और अस्पताल प्रबंधन पर बाबा साहेब का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया. ASP कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बाबा साहेब की छवि को जानबूझकर फर्श पर लगवाया गया, ताकि उनके सम्मान को ठेस पहुंचे.

प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन वहां ASP कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई. आरोप है कि गुस्साए कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और एक पुलिसकर्मी की वर्दी तक फाड़ दी. हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.

इस गिरफ्तारी के विरोध में ASP और भीम आर्मी के अन्य कार्यकर्ता थाने पहुंच गए और हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने की मांग करने लगे. उधर, बसपा कार्यकर्ता भी थाने पहुंचे और अस्पताल संचालक के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई.

पुलिस ने क्या कहा?

पुलिस के अनुसार, अस्पताल के एक चौकीदार ने निजी रंजिश में अस्पताल के मालिक से बदला लेने के लिए खुद टाइल्स खरीदीं और छत पर लगाकर बाबा साहेब की छवि का अपमान किया, फिर इस बारे में भीम आर्मी को सूचना दी. बता दें कि यह हॉस्पिटल शहर का प्रसिद्ध निजी अस्पताल है, जिसे दिवंगत डॉ. वरुण सरकार के परिवार द्वारा चलाया जा रहा है. 

घटना पर सामने आया अखिलेश का रिएक्शन

सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा, "आगरा के एक अस्पताल में महात्मा बुद्ध और बाबासाहेब अंबेडकर जी चित्रित टाइल्स को फर्श पर लगाना एक ऐसा अपमानजनक कुकृत्य है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है. कभी बाबासाहेब निर्मित संविधान बदलने की साज़िश, कभी मप्र में कोर्ट परिसर में उनकी मूर्ति लगाने का विरोध और कभी ज़मीनी टाइल्स पर उनका चित्रण एक सोची-समझी चाल है, जिसके पीछे प्रभुत्ववादियों का कौन सा गुट काम कर रहा है कहने की आवश्यकता नहीं है. 


उन्होंने आगे कहा, "जैसे-जैसे पीडीए की चेतना बढ़ रही है, वैसे-वैसे पीडीए के प्रेरणास्रोत प्रतीकों व महापुरुषों पर और साथ ही पीडीए समाज पर वर्चस्ववादियों के शारीरिक-मानसिक प्रहार भी बढ़ रहे हैं. ऐसे सुनियोजित अपमान करके जिनको लग रहा है कि पीडीए का मनोबल टूटेगा वो ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं. प्रताड़ना का प्रतिकार शक्ति बन कर उभरता है. उत्पीड़न की भी एक सीमा होती और उत्पीड़क की भी. अब भाजपा वो सीमा लांघ चुकी है और अपने पतन को देखते हुए ऐसे कुत्सित-कृत्यों से पीडीए की हिम्मत और एकजुटता को तोड़ने का अंतिम प्रयास कर रही है, जिसमें अब वो कभी सफल नहीं होगी."

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