UP चुनाव: इटावा सदर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, क्या बीजेपी बचा पाएगी सीट? जानें सियासी हाल

शिवानी गोस्वामी

16 Feb 2022 (अपडेटेड: 14 Feb 2023, 09:37 AM)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दो चरणों के मतदान के बाद अब सबकी निगाहें तीसरे फेज की वोटिंग पर टिकी हैं. तीसरे चरण में…

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दो चरणों के मतदान के बाद अब सबकी निगाहें तीसरे फेज की वोटिंग पर टिकी हैं. तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर मतदान 20 फरवरी को है. ऐसे में सभी पार्टियों के दिग्गजों ने चुनाव प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच, हम आपको प्रदेश के विधानसभा सीटों का सियासी हाल बता रहे हैं.

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इसी क्रम में आज हम आपको इटावा जिले की सदर विधानसभा सीट का सियासी हाल बताने जा रहे हैं. इस सीट को तीसरे चरण के हॉट सीटों में से एक माना जा रहा है.

इटावा सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी-बीएसपी-एसपी के बीच त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल रही है. तीनों पार्टियों की कोशिश है कि यहां कैसे जातीय समीकरण को साधा जाए. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स हैं.

इटावा सदर सीट से बीजेपी ने सिटिंग विधायक सरिता भदौरिया को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि एसपी ने सर्विस शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीएसपी ने कुलदीप गुप्ता को टिकट दिया है.

जमीनी जानकारों के मुताबिक, यहां पर ब्राह्मण वोटर्स मौजूदा विधायक से नाराज नजर बताए रहे हैं. ऐसे में एसपी और बीएसपी ब्राह्मण वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही हैं.

बीएसपी के प्रत्याशी एसपी कैंडिडेट के वोटर्स को साधने की कोशिश कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बीएसपी अपने परंपरागत वोटर्स के साथ बीजेपी के वोट में सेंधमारी की कोशिश भी कर रही है. ऐसे में यहां बीएसपी एसपी और बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की कोशिश करती नजर आ रही है.

यहां के सियासी संग्राम को लेकर हमने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत की. पत्रकार ओम रतन कश्यप ने बताया, “यहां तीनों पार्टियां (एसपी, बीजेपी और बीएसपी) पूरी ताकत से लड़ रही हैं, पर जीत बीजेपी की ही होगी. क्योंकि बीजेपी के शासन में लोगों में भय मुक्त माहौल मिला है, जिस कारण बीजेपी जीत की ओर बढ़ रही है. साथ ही बीजेपी सरकार में कानून व्यवस्था भी ठीक हुई है.

वहीं पत्रकार राजेंद्र भसीन ने कहा, “एसपी से जो टिकट की दावेदारी कर रहे थे, उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह बागी हो गए हैं. एक कैंडिडेट जो यहां काफी मजबूत माने जा रहे हैं, वो बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय लड़ाई हो गई है. यहां पर काफी कांटे का मुकाबला होने जा रहा है.”

आइए अब जानते हैं यहां का सामाजिक समीकरण. यहां की कुल आबादी 3 लाख 80 हजार है, जिसमें 68 हजार ब्राह्मण वोटर्स हैं. ऐसे में ब्राह्मण यहां हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनाव में इटावा सदर सीट से एसपी के रघुराज सिंह शाक्य जीते थे, जबकि 2017 के इलेक्शन में बीजेपी की सरीता भदौरिया विधायक चुनी गई थीं.

अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इस सीट से किसके हाथ जीत की बाजी लगती है. गौरतलब है कि यहां तीसरे फेज में 20 फरवरी को मतदान होने वाला है.

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