RO-ARO पेपर लीक के दावों का सच क्या हैं? लखनऊ के पवन-राहुल ने जो दिखाया, दिमाग घूम जाएगा

यूपी पुलिस भर्ती की परीक्षा रद्द होने के बाद अब RO-ARO Exam की परीक्षा भी रद्द करने की मांग की जा रही है. छात्रों का दावा है कि इसका पेपर भी लीक हो गया था. जानते हैं कि आखिर पेपर लीक के दावों के पीछे तर्क और सबूत क्या हैं?

RO-ARO पेपर लीक का दावा करता छात्र

संतोष शर्मा

26 Feb 2024 (अपडेटेड: 26 Feb 2024, 07:47 PM)

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RO-ARO Exam: उत्तर प्रदेश में हो रहे सरकारी भर्तियों के पेपर इस समय विवादों में हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती का पेपर लीक होने के बाद रद्द हो गया है. इसी बीच अब पेपर लीक के दावे RO-ARO परीक्षा को लेकर भी किए जा रहे हैं. बता दें कि यूपी में बीते 11 फरवरी के दिन समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी के लिखित पेपर दो पालियों में आयोजित हुए थे. 10 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने ये एग्जाम दिया था. मगर अब दावा किया जा रहा है कि ये पेपर भी पहले से ही लीक हो गया था.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश के कई जगहों पर अभ्यर्थियों द्वारा ये पेपर रद्द करने की मांग की जा रही है. छात्रों के विरोध और मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश कार्मिक विभाग ने अभ्यर्थियों से पेपर लीक के सबूत भी मांगे हैं. अब हम आपको बताते हैं कि अभ्यर्थियों द्वारा पेपर रद्द करने की मांग क्यों की जा रही है. आखिर ऐसे क्या तर्क और सबूत हैं? जिसके आधार पर अभ्यर्थियों का कहना है कि ये पेपर भी लीक हो गया था.

आखिर क्या हैं पेपर लीक के सबूत और दावे

यूपी तक ने RO-ARO पेपर लीक का पूरा मामला जानने के लिए उन छात्रों से बात की, जिन्होंने दावा किया है कि उनके पास ये पेपर पहले से ही पहुंच गया था. इसकी शिकायत आयोग और यूपी सरकार से भी की गई है. यूपी तक ने लखनऊ के पवन कश्यप और राहुल त्रिवेदी से बात की. इन दोनों ने भी लाखों छात्रों की तरह बीते 11 फरवरी के दिन लखनऊ में ये परीक्षा दी थी. 

पवन का कहना है कि जैसे ही वह अपने पहले शिफ्ट की परीक्षा देकर बाहर निकले, तभी उनके मोबाइल पर स्कैन किया हुआ  एक पीडीएफ आया. इस पीडीएफ में पहली शिफ्ट के जीएस के साथ-साथ हिंदी का भी पेपर था. हैरानी की बात ये थी कि ये पेपर 2.30 बजे से 3:30 बजे होना था. वह खुद इसमें शामिल होते. मगर ये पेपर पहले से ही मोबाइल पर आ गया था.

पीडीएफ पेपर और परीक्षा पेपर के मिलान से क्या पता चला?

पवन का कहना है कि जब उन्होंने वायरल पीडीएफ और परीक्षा के पेपर को मिलाया तो पता चला कि जीएस के पूछे गए 140 सवाल सेम ही हैं. यहां तक की दूसरी पाली में पूछे गए हिंदी के 60 सवाल सेम हैं. सिर्फ नंबरिंग अलग है. 

बता दें कि इस दौरान पेपर के वायरल हुई पीडीएफ फाइल का एक तकनीकी पहलू भी छात्रों ने उजागर किया है.  इनका कहना था कि जिस पीडीएफ फाइल में पेपर लीक हुआ है, उसको कैमस्कैनर से फोटो खींचने के बाद पीडीएफ बनाया गया. पीडीएफ जब बनती है तब कैमस्कैनर में तारीख और वक्त इस समय का स्टोर हो जाता है. जो वायरल हुआ पेपर है, उसमें तारीख 10 फरवरी 2024 की दिखाई दे रही है और उसका समय भी 1 बजे दिखाई दे रहा है. पवन और राहुल की मानें तो ये पेपर 11 फरवरी की परीक्षा से पहले ही यानी 10 फरवरी के दिन दोपहर 1 बजे ही लोक हो गया था.

प्रश्न और आंसर दोनों लिखे थे

इस दौरान राहुल त्रिवेदी ने एक मोबाइल के स्क्रीनशॉट और एक फोटो भी दिखाया. इसमें मोबाइल पर समय 12.14 AM का दिखाई पड़ रहा, लेकिन भेजे गए मैसेज का समय 8:24AM दिख रहा है. इस फोटो में ही साउंड स्क्रीन पर तारीख 11 फरवरी दिख रही है. राहुल त्रिवेदी और पवन कश्यप का कहना है कि यह आंसर की RO/ARO के दूसरे सेट के पेपर की है, जिसने सवाल के साथ उसका जवाब भी लिखा है.

इन दावों और सबूतों के आधार पर ही छात्र दावा कर रहे हैं कि पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा की तरह ये परीक्षा भी रद्द की जाए. छात्रों का कहना है कि उन्होंने सभी सबूत उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और यूपी कार्मिक विभाग को दे दिए हैं.

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