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UP News: उत्तर प्रदेश के संभल में प्रशासन ने तालाब की जमीन पर बने 40 से अधिक मकानों और एक मस्जिद को नोटिस जारी कर दिया है. इसी के साथ प्रशासन ने मस्जिद और मकानों पर लाल निशान भी बना दिए हैं. माना जा रहा है कि प्रशासन यहां जल्द ही बुलडोजर एक्शन के जरिए मस्जिद और मकान हटवा सकता है और तालाब की भूमि को कब्जा मुक्त कर सकता है. दरअसल ये पूरा विवाद तालाब की जिस भूमि को लेकर हो रहा है, वह संभल से सपा विधायक इकबाल महमूद के घर से सिर्फ 250 मीटर की दूरी पर ही है.
अब इस मामले को लेकर संभल के सपा विधायक इकबाल महमूद खुलकर सामने आ गए हैं. उनका कहना है कि प्रशासन पहले खुद तालाब की जमीन के कागज दिखाएं. उनका ये भी कहना है कि जिस जमीन को प्रशासन तालाब की जमीन बता रहा है, वहां उन्होंने खुद खेती होते हुए देखा है. सपा विधायक का कहना है कि राजस्व विभाग द्वारा प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है. इकबाल महमूद ने साफ कहा कि लोगों से दस्तावेज मांगने से पहले, प्रशासन खुद तालाब की जमीन के कागज दिखाए.
मस्जिद समेत 40 से अधिक मकान पर लगाए गए लाल निशान
दरअसल ये पूरा मामला रायसत्ती थाना इलाके के हातिमसराय इलाके से सामने आया है. यहां प्रशासन का दावा है कि तालाब की भूमि पर कब्जा करके, यहां मस्जिद समेत 40 से अधिक मकान बना दिए गए हैं. प्रशासन का दावा 80 मकानों का है. मगर प्रशासन द्वारा मस्जिद समेत 40 के करीब मकानों को ही नोटिस जारी किया गया है और लाल निशान लगाए गए हैं. प्रशासन ने इन सभी से 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है.
सपा विधायक ने की डीएम से मुलाकात
बता दें कि अब इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने संभल के जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र पेंसिया से मुलाकात की. इसके बाद इकबाल महमूद ने मीडिया से बात की. उन्होंने मकानों पर लाल निशान बनाए जाने और नोटिस जारी करने की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए.
सपा विधायक ने साफ कहा कि जिस जमीन को तालाब की जमीन बताया जा रहा है, वहां उन्होंने पहले के समय खुद खेती होते हुए देखा है. इसी के साथ सपा विधायक ने प्रशासन से ही तालाब की भूमि के दस्तावेज मांग लिए. उन्होंने कहा कि ये मामला उनके घर के पास का है. यहां राजस्व विभाग द्वारा प्रशासन को गलत जानकारी दी गई है. सपा विधायक ने कहा, प्रशासन के द्वारा इस तालाब को सरकारी जगह कहा जा रहा है, जिसके रिकॉर्ड नंबर 84,85,86 है और इन तीनों नंबरों पर आबादी बसी हुई है, लेकिन प्रशासन के द्वारा केवल 84 नंबर के नोटिस लोगों को दिए गए हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है. उन्होंने दावा किया कि सरकारी रिकॉर्ड में ये जगह तालाब की जमीन के तहत दर्ज नहीं है. इसलिए ही प्रशासन कोई कागज नहीं दिखा रहा है.
तहसीलदार ने ये बताया
इस पूरे मामले को लेकर तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, मौके पर मैंने खुद निरीक्षण किया था. लोग नोटिस का जवाब दें या नहीं दें, लेकिन तालाब की जमीन पर से अतिक्रमण अवश्य हटाया जाएगा. तहसीलदार ने साफ कहा कि बुलडोजर एक्शन से ही तालाब की जमीन पर बने मकानों को हटाया जाएगा.
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