IAS DM J Reebha: कलेक्टर जे रीभा की बेटी के लिए जिला अस्पताल में खुला हफ्तों से बंद अल्ट्रसाउंड सेंटर और फिर फौरन कर दिया बंद

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का अस्पताल से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको खबरदार करने के लिए काफी है. बता दें कि जिला अस्पताल के अल्ट्रासांउड कक्ष में पिछले कई हफ्तों से ताला लगा हुआ था.

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उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का अस्पताल से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको खबरदार करने के लिए काफी है. बता दें कि जिला अस्पताल के अल्ट्रासांउड कक्ष में पिछले कई हफ्तों से ताला लगा हुआ था. ऐसे में मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही डीएम जे रीभा अपनी बीमार बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचीं वैसे ही रुम का ताला खोलकर अल्ट्रासाउंड किया गया. जिला अस्पताल में मरीजों के लिए डॉक्टरों के इस दोहरे रवैये ने लोगों एक बार फिर से निराश कर दिया है. लोग सिस्टम के खिलाफ तरह तरह के सवाल उठा रहे हैं.

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अल्ट्रासाउंड के बाद बंद किया गया दरवाजा

बता दें कि बांदा जिला अस्पताल में काफी समय से अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लगा हुआ रहता है. ऐसे में सरकारी डॉक्टर रेडियोलॉजिस्ट न होने की स्थिति में मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं, जिससे मरीज मोटी रकम देकर प्राइवेट सेंटर में अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर हैं.  लेकिन ये ताला सिर्फ आम जनता के लिए बंद था, क्योंकि जैसे ही डीएम जे रिभा अपनी बेटी को लेकर अस्पताल पहुंची वैसे ही अल्ट्रासाउंड का दरवाजा खोल दिया गया. इतना ही नहीं डॉक्टरों को रेडियोलॉजिस्ट भी मिल गया जिसने डीएम जे रिभा की बेटी का अल्ट्रासाउंड किया. लेकिन फिर से अल्ट्रासाउंड रुम का दरवाजा बंद कर दिया गया. 

अस्पताल में मौजूद लोगों का कहना है कि 'आम जनता परेशान है इससे कोई मतलब नहीं...कोई बड़ा अधिकारी आ जाता है तो तत्काल सभी सुविधाएं मुहैया करा दी जाती हैं... कमीशनखोरी के चलते बाहर से जांच करवाने के लिए कहा जाता है... डॉक्टरों और प्राइवेट सेंटरों द्वारा सांठगांठ करके मरीजों को लूटने का काम किया जा रहा है.'

 

 

सीएमएस ने दी सफाई

इस मामले पर जब सीएमएस से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 'डीएम की बेटी को कुछ समस्या थी, जिस पर उन्होंने बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गई.  इसलिए उनका अल्ट्रासाउंड कराया गया.' वहीं जब उनसे आम मरीजों के लिए बन्द पड़े सेंटर और कमीशनखोरी के चलते बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने को लेकर  सवाल किया गया तो  उन्होंने कहा कि 'कमीशन के बारे में तो मुझे नहीं पता. रेडियोलॉजिस्ट न होने की स्थिति में अल्ट्रासाउंड का काम बाधित है. आज चूंकि डीएम की बेटी का मामला था इसलिए किया गया. मैं रेडियोलॉजिस्ट हूं इसलिए कर दिया. लेकिन अस्पताल में कई प्रशासन के काम होते हैं. इसलिए दोनों काम सम्भव नहीं है. जरूरी तो है मरीजों की सेवा लेकिन सम्भव नहीं है.'

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