उयत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर नागरिकों से राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की एकता, संस्कृति और कर्तव्य भावना का पावन प्रतीक है. वंदे मातरम आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है.
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लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय रचित अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ किसी एक देवता, संप्रदाय या समुदाय की वंदना नहीं है और न ही इसे सीमित भावनाओं का गीत समझा जाना चाहिए. सीएम ने कहा कि ये गीत हर भारतीय को स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता है. सीएम योगी ने उदाहरण देते हुए कहा कि स्कूल में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों में संस्कार भरना, सीमाओं पर विपरीत परिस्थितियों में सैनिक का देश की रक्षा करना और किसान का राष्ट्र के लिए अन्न उत्पादन करना, ये सभी काम ‘वंदे मातरम्’ की सच्ची भावना के प्रतीक हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के नागरिक कर्तव्य के संदेश का उल्लेख
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर नागरिकों के कर्तव्यों पर दिए गए संदेश को याद करते हुए बताया कि जितना अधिकारों की बात होती है, उतना ही नागरिक कर्तव्यों की भी चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन किया जाना न सिर्फ वर्तमान को बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भी भविष्य को सुरक्षित करता है.
वंदे मातरम्: आज़ादी की लड़ाई का प्रतिरोधी नारा
सीएम योगी ने ‘वंदे मातरम्’ के रचनाकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारत को एकता का शाश्वत मंत्र देने वाला दूरदर्शी बताया. उन्होंने कहा कि 1875 में रचा गया यह गीत देश की स्वतंत्रता संग्राम का घोषवाक्य बना और इसने क्रांतिकारियों को प्रेरित किया. साथ ही, देश को उपनिवेशवाद के खिलाफ एकजुट किया. उन्होंने कहा कि दमन और अत्याचार के बावजूद, स्वतंत्रता सेनानियों ने साहस और विश्वास के साथ ‘वंदे मातरम्’ गाया. इस गीत ने भारत की सामूहिक चेतना को जगाया और लोगों में राष्ट्रीय गर्व का संचार किया.
सीएम योगी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ की शक्ति उसकी समावेशिता में है. संस्कृत और बंगाली में लिखे जाने के बावजूद यह गान पूरे भारत की आत्मा उसकी संस्कृति, एकता और अमर पहचान को अभिव्यक्त करता है. उन्होंने बताया कि आजादी के आंदोलन के हर चरण में ‘वंदे मातरम्’ एकता का प्रतीक बन गया. इसने जाति, धर्म और क्षेत्र से ऊपर उठकर भारतवासियों को एक सूत्र में बांधा.
150 साल बाद भी प्रासंगिक
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज जब हम ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं, तो सिर्फ इसके रचनाकार को सम्मान नहीं दे रहे बल्कि उन मूल्यों को भी फिर से स्मरण कर रहे हैं, जिनका यह प्रतीक है. उन्होंने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की बीते आठ वर्षों की प्रगति ‘वंदे मातरम्’ द्वारा प्रेरित नागरिक कर्तव्यों की अभिव्यक्ति है.
क्या है वंदे मातरम गीत की कहानी?
वंदे मातरम् गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में अपने उपन्यास ‘आनंदमठ’ में की थी. यह गीत भारत की आजादी की लड़ाई का प्रतीक बन गया और देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा गाया जाने लगा. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में पहली बार इसे गाया. इसके बाद यह राष्ट्रीय आंदोलन का अभिन्न हिस्सा बन गया. ब्रिटिश सरकार ने इसे बार-बार प्रतिबंधित किया, लेकिन इसकी लोकप्रियता और इसे लेकर राष्ट्रीय भावना बढ़ती ही चली गई. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया. इस तरह यह गीत भारत की एकता, गौरव और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक बन गया.
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