फिर सुलगने लगी जाट आरक्षण की आग! यशपाल मलिक बोले- ‘जो आरक्षण देगा उसी को जाएगा वोट’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा किए जाने के बाद अब जाट आरक्षण की आग एक बार…
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा किए जाने के बाद अब जाट आरक्षण की आग एक बार फिर सुलगने लगी है.
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने मंगलवार को कहा कि सरकार जाटों को कमजोर न समझे और ध्यान रखे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 125 विधानसभा सीट के साथ ही उत्तराखंड की 15 और पंजाब की 100 से ज्यादा सीटों पर जाटों का प्रभाव है.
उन्होंने कहा कि अगले साल जाटों के प्रभाव वाले इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव है और इन चुनावों में जाटों का वोट उसी दल को जाएगा जो उन्हें आरक्षण देगा.
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मलिक ने कहा कि सरकार ने 2015 और 2017 में आरक्षण का वादा किया था जो पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जाट समाज के प्रमुख संगठनों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की उपस्थिति में केंद्रीय स्तर पर जाट आरक्षण का वादा किया था और 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के आवास पर आरक्षण का भरोसा दिया गया था. मलिक ने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी जाट समाज से वादे किए गए.
उन्होंने कहा कि जाटों से आरक्षण का वादा किया गया था इसलिए उन्होंने बीजेपी का साथ दिया, ”उसके वोट से बीजेपी ने केंद्र और फिर उत्तर प्रदेश में सरकार तो बना ली, लेकिन उसे उसका हक नहीं दिया गया.”
उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वह आगे की रणनीति तैयार करेंगे, लेकिन फिलहाल वह सरकार से ही कह रहे हैं कि उनकी आरक्षण की मांग मानी जाए.
मलिक ने कहा कि इस बार जाट समुदाय आरक्षण की लड़ाई सड़कों पर नहीं, अपने वोट के निर्णय से करेगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में 25 नवंबर को मुरादाबाद मंडल की बैठक होगी और फिर अलीगढ़, आगरा और अन्य मंडलों की बैठक होगी और एक दिसंबर को राजा महेंद्र प्रताप की जयंती के दिन से जनजागरण अभियान चलाया जाएगा.
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(उस्मान चौधरी और भाषा के इनपुट्स के साथ)
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