घोसी उपचुनाव में BSP नहीं उतारेगी प्रत्याशी? इस दांव के पीछे मायावती की रणनीति को समझिए
Ghosi Byelection: उत्तर प्रदेश में मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर माहौल गर्म है. इस उपचुनाव के लिए समाजवादी…
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Ghosi Byelection: उत्तर प्रदेश में मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर माहौल गर्म है. इस उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के बागी नेता और निवर्तमान विधायक दारा सिंह चौहान को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं, सपा की ओर सुधाकर सिंह मैदान में हैं. अभी तक मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस उपचुनाव के लिए अपने पत्ते नहीं खोले थे, लेकिन इस बीच सूत्रों के हवाले से पता चला है इस उपचुनाव के लिए मायावती अपना उम्मीदवार नहीं उतरने जा रही हैं. यानी कि अब घोसी में सीधा मुकाबला भाजपा के दारा सिंह चौहान और समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह के बीच देखने को मिल सकता है.
मायावती की क्या है प्लानिंग?
इस उपचुनाव में सबसे ज्यादा नजर इस बात पर थी कि क्या बसपा अपना उम्मीदवार उतारती है या नहीं? बसपा की तरफ से जो खबरें आ रही हैं, उससे अब यह साफ होता जा रहा है कि पार्टी यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. इसकी वजह बताई जा रही है कि मायावती ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं को इशारों-इशारों में खास संदेश दे रही हैं.
यह उपचुनाव क्यों है महत्वपूर्ण?
ऐसा कहा जा रहा है कि जो भी पार्टी इस उपचुनाव को जीतेगी तो यह माना जाएगा कि उसका गठबंधन उत्तर प्रदेश में मजबूत है. यानी ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के रहते अगर समाजवादी पार्टी घोसी उपचुनाव जीत लेगी तो अखिलेश यादव का कद ‘इंडिया’ गठबंधन में बढ़ जाएगा. क्योंकि तब यह कहा जाएगा भाजपा के अपने गठबंधन में राजभर सरीखे नेताओं के होने के बाद भी अखिलेश यादव का गठबंधन भारी है और उन्हें उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन लीड करना चाहिए. लेकिन अगर सपा हार गई और भाजपा जीत गई तब उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन पर गंभीर सवाल खड़े होंगे.
मायावती को किस बात है इंतजार?
शायद मायावती इसी वक्त का इंतजार कर रही हैं कि घोसी के बहाने एनडीए और इंडिया गठबंधन का टेस्ट केस हो जाए. दूसरी बात यह कि मायावती इस वक्त विपक्ष के नेताओं को यह मौका नहीं देना चाहतीं कि वे कहें कि बसपा की वजह से ‘इंडिया’ गठबंधन यह उपचुनाव हार गया. ऐसे में वह चुनाव से दूर रहकर सबसे बड़ा सियासी दांव चल रही हैं.
भाजपा क्या चाहती थी?
ऐसी चर्चा है कि भाजपा चाहती थी कि बसपा यहां अपना उम्मीदवार उतारे और सिर्फ उम्मीदवार ही नहीं मुस्लिम चेहरा इस उपचुनाव में उतारे. ताकि उनके लिए यह जीत आसान हो जाए. लेकिन मायावती फिलहाल चुनाव से खुद को दूर रखकर बड़ा संदेश देना चाहती हैं. ताकि विपक्ष के नेता उनकी कमी को शिद्दत से महसूस करें.
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बसपा के भीतर उपचुनाव को लेकर क्या है माहौल?
बसपा के भीतर घोसी में उपचुनाव लड़ने को लेकर दो राय हैं. एक धड़ा यह चाहता है की घोसी उपचुनाव को लड़ा जाए, क्योंकि यहां बसपा का अपना वोट 55 से 60 हजार तक है. ऐसे में इसे खाली छोड़ना बसपा के लिए ठीक नहीं होगा. ऐसी चर्चा है कि इस धड़े ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारने और मुस्लिम चेहरे को लेकर दबाव भी बनाया. कोऑर्डिनेटरो ने मायावती से मुलाकात भी की. लेकिन मायावती ने यह कह दिया कि जब लड़ना था तो पहले तैयारी करनी चाहिए थी.
वहीं, दूसरा धड़ा जो घोसी का स्थानीय नेतृत्व है. वह चाहता है कि इस बार दारा सिंह चौहान को हराया जाए. ताकि 2024 में बसपा की दावेदारी और मजबूत हो सके.
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क्या करेगी कांग्रेस?
बहरहाल एक नजर कांग्रेस पार्टी पर भी टिकी हुई हैं. क्या कांग्रेस पार्टी बिन मांगे इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन देगी या फिर समाजवादी पार्टी के समर्थन मांगने का इंतजार करेगी? इस पर भी नजर इसलिए है कि अखिलेश यादव ने अगर विपक्ष से समर्थन मांगा तो फिर यह चुनाव ‘इंडिया’ बनाम एनडीए होगा. लेकिन अगर उन्होंने अपनी लड़ाई अलग रखी, तो कई सवाल फिर खड़े होंगे.
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