अखिलेश यादव को एंटी-ठाकुर कहने वाले धनंजय सिंह कौन हैं? दिलचस्प है उनकी राजनीति में एंट्री की कहानी
धनंजय सिंह का राजनीतिक जीवन जौनपुर के टीडी कॉलेज से शुरू होकर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से होता हुआ अपराध और सत्ता के गलियारों तक पहुंचा है. उनका करियर जितना लंबा है उतना ही विवादों से भरा भी रहा है. फिलहाल वह कफ सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में नाम उछाले जाने के बाद काफी चर्चा में हैं.
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जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह आजकल कफ सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में नाम उछाले जाने को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. हाल ही में उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनका नाम जानबूझकर राजनीतिक साजिश के तहत घसीटा जा रहा है. इस दौरान धनंजय सिंह ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव 'एंटी-ठाकुर' बनने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए उनका नाम बार-बार ले रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अब वह अखिलेश यादव और सपा नेताओं के खिलाफ कोर्ट का रुख करेंगे और उन्हें माफी मांगने पर मजबूर किया जाएगा. बता दें कि धनंजय सिंह का राजनीतिक जीवन जौनपुर के टीडी कॉलेज से शुरू होकर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से होता हुआ अपराध और सत्ता के गलियारों तक पहुंचा है. उनका करियर जितना लंबा है उतना ही विवादों से भरा भी रहा है.
कैसे हुई धनंजय सिंह की राजनीति में एंट्री
धनंजय सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जौनपुर के टीडी कॉलेज और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से की. उन्होंने मंडल कमीशन का विरोध करके अपनी पहचान बनानी शुरू की. लखनऊ विश्वविद्यालय में उनकी मुलाकात बाहुबली छात्र नेता अभय सिंह से हुई जिसके बाद वह विश्वविद्यालय की राजनीति में शामिल हो गए. कुछ ही सालों में लखनऊ के हसनगंज थाने में उन पर हत्याओं और सरकारी टेंडरों में वसूली से जुड़े कई मुकदमे दर्ज हो गए.
1998 तक उन पर हत्या और डकैती समेत 12 मुकदमे दर्ज हो चुके थे जिसके चलते वह 5000 के इनामी बदमाश बन चुके थे. 17 अक्टूबर 1998 को पुलिस को सूचना मिली कि वांटेड क्रिमिनल धनंजय सिंह भदोही -मिर्जापुर रोड पर एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने वाले हैं. पुलिस ने छापा मारा और मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में एक को धनंजय सिंह बताकर उन्हें मृत घोषित कर दिया. लेकिन यह खबर झूठी निकली. धनंजय सिंह जिंदा थे और फरार हो गए थे.
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कई महीनों तक अपनी मौत की खबर पर चुप रहने के बाद धनंजय सिंह अचानक सामने आए और राजनीति में एंट्री ली. 2002 में वह पहली बार निर्दलीय विधायक बने. 2004 में जौनपुर से सांसद बने और 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे. हाल ही में उन्हें 300 करोड़ की सीवर लाइन बिछाने के काम में घटिया सामग्री की सप्लाई के लिए दबाव बनाने के मामले में जेल की सजा हुई थी.
जेल में रहते हुए भी वह सुर्खियों में बने रहे. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह जेल में थे. लेकिन उनकी पत्नी श्री कला सिंह को बसपा ने जौनपुर से टिकट दिया. रिहाई के बाद वह जेल से बाहर आए और उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को समर्थन दिया. हालांकि बीजेपी यह चुनाव हार गई.फिलहाल वह कफ सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में नाम उछाले जाने के बाद काफी चर्चा में हैं.
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