बिहार-बंगाल के दबाव में अखिलेश की 11 सीटों वाले ऑफर पर सरेंडर करेगी कांग्रेस या खेल बाकी है?
दरअसल बीते दिनों अखिलेश यादव ने ट्वीट करके ऐलान कर दिया था कि यूपी में कांग्रेस को 11 सीटें दी गई हैं. जैसे ही अखिलेश का ट्वीट सामने आया, कांग्रेस नाराज हो गई. दरअसल कांग्रेस की तरफ से ऐसा कोई ऐलान नहीं किया गया था.
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UP Politics: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे ही विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां आ रही हैं. बंगाल में ममता दीदी और कांग्रेस आमने-सामने हैं तो वही पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की जम नहीं रही है. इंडिया गठबंधन के कर्ता-धर्ता नीतीश कुमार तो पाला बदलकर भाजपा नीत एनडीए में शामिल हो गए हैं. बात की जाए उत्तर प्रदेश की तो यहां भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल बीते दिनों अखिलेश यादव ने ट्वीट करके ऐलान कर दिया था कि यूपी में कांग्रेस को 11 सीटें दी गई हैं. जैसे ही अखिलेश का ट्वीट सामने आया, कांग्रेस नाराज हो गई. दरअसल कांग्रेस की तरफ से ऐसा कोई ऐलान नहीं किया गया था.
वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए कांग्रेस ने मामले को संभालते हुए ये कह दिया कि 11 सीटों पर बात पक्की हो गई है. अन्य सीटों पर बात चल रही है. मगर कांग्रेस सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव के इस बयान पर यूपी कांग्रेस नेता सकते में हैं. यूपी के कांग्रेसी नेताओं को दूर-दूर तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि अखिलेश यादव 11 सीटों का ऐलान करने जा रहे हैं.
कांग्रेस ने नहीं किया अखिलेश के बयान का विरोध
सूत्रों की माने तो कांग्रेस, सपा चीफ के इस ट्वीट को लेकर सन्न थी. दरअसल कांग्रेस द्वारा सीटों की ज्यादा मांग की जा रही थी. मगर यहां अखिलेश यादव ने एकतरफा ऐलान कर दिया कि कांग्रेस को 11 लोकसभा सीटे दी जा रही हैं.
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सूत्रों की माने तो अखिलेश के इस ऐलान के बाद यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ऑनलाइन बैठक की. इस बैठक में यह तय किया गया कि कांग्रेस की तरफ से सपा चीफ अखिलेश क इस फैसले का विरोध नहीं किया जाएगा. बल्कि यह कहा जाएगा कि अभी तक 11 सीटों पर ही मामला फाइनल हो पाया है. अन्य सीटों पर चर्चा जारी है.
कांग्रेस कितनी सीटें चाहती है?
कांग्रेस सूत्रों की माने तो कांग्रेस 11 सीटों पर खुश नहीं है. कांग्रेस यूपी में 15 से 17 सीटे चाहती है. दरअसर कांग्रेस ने शुरू में करीब 26 सीटों की मांग की थी. कांग्रेस का मानना था कि अगर इसमें काट भी होती है तब भी 18 से 20 सीटे कांग्रेस के पास आ जाएगी. मगर अखिलेश यादव ने कांग्रेस को इससे भी आधी सीट दे दी और कांग्रेस को 11 सीटें देने का ऐलान कर दिया.
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कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उसने सपा से वाराणसी, कानपुर, लखनऊ जैसी सीटों की मांग की थी, क्योंकि इन सीटों पर सपा के पास मुकाबला करने के लिए कोई चेहरा नहीं है. कांग्रेस की जो लिस्ट सामने आई थी, उसमें मुरादाबाद, अमरोहा, कानपुर, मेरठ, बलिया, गोंडा, सहानरपुर जैसी कई सीटों थी. दरअसल कांग्रेस चाहती है कि वह यूपी में 2009 जैसा प्रदर्शन कर सके. इन सीटों पर कांग्रेस ने साल 2009 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
मगर सपा, कांग्रेस का 2009 का फॉर्मूला मानने के लिए तैयार नहीं है. सपा का कहना है कि जहां पर हमारा मजबूत उम्मीदवार है, वहां हम उन्हें मैदान में खड़ा करेंगे. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध ली है. मगर इसका मतलब ये नहीं है कि कांग्रेस 11 सीटों पर मान गई है.
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बिहार-बंगाल को देख कांग्रेस खामोश
कांग्रेस, सपा प्रमुख के 11 सीटे देने वाले बयान से नाराज है. मगर वह अपना गुस्सा जाहिर नहीं करना चाहती है. दरअसल कांग्रेस, बिहार-बंगाल और पंजाब को भी देख रही है. बंगाल में तो ममता बनर्जी अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. बिहार की बात की जाए तो नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ चले गए हैं और उनके पाला बदलने से इंडिया गठबंधन को मुश्किल हुई है. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच विवाद जारी है. ऐसे में कांग्रेस, अखिलेश यादव को नाराज करना नहीं चाहती है.
कांग्रेस का मानना है कि वह अखिलेश यादव को नाराज नहीं कर सकती. राहुल गांधी की न्याय यात्रा जल्द ही यूपी में आनी है. ऐसे में कांग्रेस सपा को नाराज करने के मुड में नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि कांग्रेस के बड़े नेता सपा के नेताओें से बात करके सीटें बढ़वाने की कोशिश करें. कांग्रेस का मानना है कि कम से कम उसे 16-17 सीटे तो मिलनी चाहिए. ऐसे में कांग्रेस अभी काफी असमंजस की स्थिति में है. फिलहाल कांग्रेस, सपा को मनाने की कोशिश कर रही है.
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