सोमनाथ हमले के वक्त वो सिर्फ...सैयद सलार मसूद गाज़ी और नेजा मेले विवाद पर संभल सपा MP बर्क का तगड़ा रिएक्शन

यूपी तक

UP News: सैयद सलार मसूद गाज़ी की याद में लगने वाला संभल का नेजा मेला लगातार चर्चाओं में बना हुआ है. प्रशासन ने मुसलमानों को मेले की इजाजत नहीं दी है. अब इस पूरे मामले पर संभल सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का रिएक्शन सामने आया है.

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UP News: सैयद सलार मसूद गाज़ी का नाम इन दिनों चर्चाओं में हैं. दरअसल सैयद सलार मसूद गाज़ी की याद में संभल में नेजा मेले का आयोजन होता है. मगर इस बार प्रशासन ने इस मेले की अनुमति मुस्लिम पक्ष को नहीं दी है. संभल एसीपी श्रीचंद संभल ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि सैयद सलार मसूद लूटेरा-हत्यारा था और उसने सोमनाथ मंदिर समेत कई मंदिरों को तोड़ा और लूटा था. एएसपी ने सैयद सलार मसूद गाज़ी को लेकर कहा अब उसकी याद में कोई मेले का आयोजन नहीं होगा. बता दें कि सैयद सालार मसूद गाजी को मोहम्मद गजनवी का भांजा माना जाता है.

अब इस मामले को लेकर संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बयान सामने आया है. सपा सांसद ने सैयद सलार मसूद गाज़ी को महान सूफी संत बताया है. इसी के साथ उन्होंने संभल एएसपी के खिलाफ एक्शन की मांग की है.

सैयद सलार मसूद गाज़ी को लेकर ये बोले सपा सांसद

संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा, सैयद सलार मसूद गाज़ी जिन्हें सोमनाथ के मंदिर पर हमले से जोड़कर बताया जा रहा है, वो गलत है. जब सोमनाथ के मंदिर पर हमला हुआ, तब आपकी उम्र सिर्फ 11 साल थी. इतिहासकार बताते हैं कि सोमनाथ के मंदिर पर हमले में उनकी मौजूदगी का कोई भी ज़िक्र नहीं है.

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सपा सांसद ने सोशल मीडिया X पर आगे लिखा,  आखिरकार एक अधिकारी बिना कुछ तथ्यों के जाने बार बार जिस तरीके के अलफ़ाज़ एक सूफी संत के बारे में इस्तेमाल कर रहा है वो सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है ना की संविधान का पालन कर रहा है. उनकी सारी समस्या सैयद सालार मसूद गाज़ी र.अ. से है. जो मेला सैकड़ों साल से परंपरागत लगता आ रहा है उसे रोकने अनैतिक है.

‘महान सूफी संत थे सैयद सलार गाजी’

सपा सांसद ने आगे लिखा,  सैयद सलार मसूद गाज़ी 12वीं शताब्दी के महान सूफी संत थे. यूपी के बहराइच में उनकी कब्र है, उनके मज़ार पर हर साल जेठ के महीने में मेला लगता है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम सिख ईसाई समुदायों के लोग शामिल होते हैं. उनकी दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में देखी जाती है.  जिस तरह एक महान सूफी संत पर अमर्यादित टिप्पणी की है, वो नफ़रत की सियासत का नतीजा है.  एसे अधिकारी को फौरन पदमुक्त करना चाहिए.

‘सैकड़ों नेजे मेले लगाए जाते हैं’

सपा सांसद ने आगे लिखा, महान सूफ़ी संत सैयद सलार मसूद गाज़ी रहमतुल्लाह अलैह की याद में जगह जगह सैकड़ो नेज़े के मेले लगाए जाते हैं. उस समय इंसानियत पर हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ सय्यद मसूद ग़ाज़ी सिर्फ़ अल्लाह के लिए इंसानियत की ख़िदमत कर रहे थे.

सपा सांसद ने लिखा कि संविधान की शपथ लेने वाले लोग कैसे किसी की आस्था का खिलवाड़ कर लेते हैं, उनपर क्यों डीजीपी या सरकार लगाम नहीं लगाती है? सबको अपनी मर्ज़ी से इबादत करने की आज़ादी है और यह अधिकार संविधान ने ही दिया है, लेकिन संभल में अधिकारी संवैधानिक अधिकार को नज़र अंदाज़ कर रहे है.

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