राहुल गांधी ने बिहार चुनाव में किया यूपी के दलित मोची की जिंदगी बदलने का दावा, रामचेत के बेटे ने बता दी हकीकत
हार विधानसभा चुनाव के बीच यूपी के सुल्तानपुर निवासी एक दलित मोची की खूब चर्चा है. इनका नाम रामचेत है. बिहार चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दलित मोची रामचेत की जिंदगी बदलने का दावा किया है. मगर यूपी Tak की टीम ने मौके पर जाकर रामचेत के बेटे से बात की, तो हकीकत कुछ और ही निकली.
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बिहार विधानसभा चुनाव अपने चरम पर है. यहां सियासी तापमान गर्म है और सत्ताधारी पार्टियों से लेकर विपक्षी दल दोनों आपस में एक दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के बीच यूपी के सुल्तानपुर निवासी एक दलित मोची की खूब चर्चा है. इनका नाम रामचेत है. बिहार चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दलित मोची रामचेत की जिंदगी बदलने का दावा किया है. राहुल गांधी का दावा है कि उन्होंने रामचेत की मदद की जिससे उनके हालात बदल गए. मगर यूपी Tak की टीम ने मौके पर जाकर रामचेत के बेटे से बात की, तो हकीकत कुछ और ही निकली.
कौन हैं रामचेत मोची?
रामचेत मोची सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. रामचेत मोची वहीं हैं, जिनकी दुकान पर कुछ वक्त पहले राहुल गांधी गए थे. इस दौरान राहुल गांधी ने रामचेत मोची के साथ बैठकर बात की थी और उनकी मदद भी की. लेकिन अब रामचेत मोची का नाम बिहार विधानसभा में भी राहुल गांधी बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं. राहुल गांधी अपनी रैलियों को संबोधित करते हुए इस बात का जिक्र करते हैं कि कैसे एक दिन अचानक उनकी मुलाकात रामचेत मोची से हुई और उन्होंने उनकी मदद की.
रामचेत के बेटे ने ये बताया
रामचेत मोची के नाम का इस्तेमाल भले ही बिहार चुनाव में हो रहा हो. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. रामचेत मोची का बेटा अब उनकी दुकान संभालता है जिसने अपने पिता की बुरी स्थिति बयां की. बेटे के मुताबिक उनके पिता रामचेत मोची की तबीयत अब इतनी खराब हो चुकी है कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकते. दुकान की स्थिति खराब है. बेटे ने बताया कि जो मशीनें राहुल गांधी ने मदद के तौर पर भिजवाई थीं. वह अब किसी काम की नहीं रही हैं.
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बिहार चुनाव में मोची बिरादरी को साधने की कोशिश
रामचेत मोची की चर्चा बिहार चुनाव में इसलिए हो रही है क्योंकि उनकी बिरादरी (मोची) दलित वर्ग के तहत आती है. बिहार में कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में मुस्लिम और दलितों के समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी द्वारा रामचेत का नाम बार-बार लिया जाना इसी बिरादरी को एक इमोशवल मैसेज देने की एक कोशिश है.
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