सीएम योगी आदित्यनाथ की दिल्ली की मीटिंग के पीछे का पॉलिटिकल मैसेज क्या है? 3 घंटे की तीन मुलाकातों की पूरी कहानी

कुमार अभिषेक

सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में PM मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा से करीब 3 घंटे की मुलाकात की. यूपी बीजेपी अध्यक्ष, मंत्रिमंडल फेरबदल और नेताओं की नाराजगी पर हुई चर्चा. जानें सियासी मायने.

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CM Yogi with PM Modi.
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उत्तर प्रदेश में इस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बैक-टू-बैक मुलाकातों की चर्चा है. ये मुलाकातें 19 जुलाई को शाम में हुईं. इसके बाद उत्तर प्रदेश में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. आखिर में इन मुलाकातों का असली मर्म क्या है? क्या उत्तर प्रदेश में संगठन या कैबिनेट स्तर पर कोई बड़े बदलाव की तैयारी है? सीएम योगी ने इन मुलाकातों में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को आखिर क्या बताया है? इसे लेकर तमाम सियासी अनुमान जताए जा रहे हैं. इसी बीच यूपी Tak के ब्यूरो हेड और सीनियर एडिटर कुमार अभिषेक ने इन मुलाकातों का पूरा एनालिसिस किया है. यहां नीचे पढ़िए सीएम योगी की इन मुलाकातों की इनसाइड स्टोरी: 

उत्तर प्रदेश बीजेपी की नई सियासी प्रयोगशाला बनती जा रही है 2024 के लोकसभा चुनाव में घटी सीटों ने बीजेपी के लिए 2027 की चिंता बढ़ा दी है, जिसे लेकर लखनऊ से दिल्ली तक राजनीतिक एक्सरसाइज शुरू है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार और संगठन में फेरबदल की संभावनाओं के बीच रविवार को दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बैक टू बैक मुलाकात की. योगी की ये तीनों मुलाकातें करीब तीन घंटे की रहीं, जिसके सियासी मायने और राजनीतिक मकसद भी है.

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प्रदेश अध्यक्ष पर सीएम योगी ने बता दी अपनी राय!

सूत्रों की मानें तो सीएम योगी ने बीजेपी हाईकमान के सामने अपनी बात को मजबूती से रखा है. खासकर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर, उन्होंने पार्टी के टॉप थ्री लीडरशिप को बता दिया है कि यूपी में प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी किसे सौंपी जानी चाहिए. सीएम योगी ने अपनी पसंद ही नहीं बताया बल्कि ये भी बताया कि यूपी के सियासी समीकरण के लिहाज से पार्टी के लिए कौन बेहतर रहेगा. 

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यूपी में बीजेपी भूपेंद्र चौधरी की जगह नए अध्यक्ष की तलाश में है, जिसे लेकर सियासी माथापच्ची काफी दिनों से चल रही है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है कि किसे प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपी जाए. इसकी वजह यह भी है कि पार्टी जिसे बागडोर सौंपेगी, उसके अगुवाई में ही 2027 का विधानसभा चुनाव होना है. यही वजह है कि बीजेपी काफी सोच समझकर प्रदेश अध्यक्ष का फैसला करना चाह रही है और ऐसे में सीएम का पसंद का भी ख्याल रखना है ताकि सरकार और संगठन का बेहतर तालमेल हो सके.

बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से सीएम योगी से मुलाकात के दौरान यूपी नेताओं की नाराजगी और शिकायतों को लेकर बात हुई. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने योगी के सामने बीजेपी और सहयोगी दलों की उन तमाम शिकायतों को रखा, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उन सभी नेताओं के पूरा चिट्ठे खोलकर रख दिए. नारजगी जाहिर करने वालों नेताओं की कामकाज से लेकर सारी उनके बात को रखी. इसके अलावा नौकरशाही के के नेताओं के न सुनने वाले नेताओं के मुद्दे पर भी बात हुई है. 

मंत्रिमंडल में जल्द होगा फेरबदल

यूपी बीजेपी अध्यक्ष के चयन में देरी हो रही है. माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद यूपी प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होगा. इस तरह से प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय से पहले यूपी में कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है. सूत्रों की माने इसे लेकर भी सीएम योगी ने पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा से बात हुई है. योगी कैबिनेट से कुछ नेताओं के जल्द छुट्टी हो सकती है तो कुछ नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है. सीएम योगी ने बीजेपी हाईकमान से अपनी कैबिनेट से किसे हटाने और किन चेहरों को शामिल करने है, उसे लेकर भी अपनी राय ही ही. 

शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से सुनी सीएम योगी की बात 

बीजेपी सूत्रों ने बताया है कि सीएम योगी ने मोदी, अमित शाह और नड्डा के सामने जो भी बात रखी है, उसे बीजेपी के तीनों ही लीडरों ने गंभीरता से सुनी है. इसके अलावा अपनी भी बातें रखी है. सूत्रों ने ये भी बताया है कि सीएम योगी को बीजेपी नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों के साथ भी सियासी बैलेंस बनाकर चलने का संदेश दिया है. इसके अलावा यूपी के सियासी बैलेंस बनाकर चलने के साथ-साथ सरकार और संगठन में भी बेहतर तालमेल बनाकर चलने की बात कही गई है. इसके बाद ही दोनों डिप्टीसीएम  और सीएम योगी एक साथ पश्चिम यूपी में नजर आए हैं.

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