मायावती के राज में देर रात राजा भैया कैसे हुए थे गिरफ्तार? कुंडा विधायक ने खुद सुनाया था ये किस्सा
हमारे सहयोगी The Lallantop ने राजा भैया के साथ लंबी बात की थी. इस दौरान राजा भैया ने अपनी जिंदगी, अपने राजनीतिक जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें भी बताई थी. इस दौरान राजा भैया ने अपने ऊपर दर्ज हुए एक अजीब केस का भी जिक्र किया था, जिसमें उनके ऊपर अजीब आरोप लगाए गए थे.
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Raja Bhaiya on Mayawati: प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के पूर्व युवराज रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने साल 1993 में महज 24 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. जब से राजा भैया ने राजनीति में कदम रखा है, तभी से वह लगातार प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से विधायक बने हुए हैं और उत्तर प्रदेश के ऐसे बाहुबली राजनेता बने हुए हैं, जिनके बारे में अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं.
आज हम राजा भैया के बारे में इसलिए भी बात कर रहे हैं, क्योंकि खबर है कि राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिला सकती है. (जब ये खबर लिखी जा रही है तब तक दोनों के बीच गठबंधन का ऐलान नहीं हुआ है.) खबर ये भी है कि राजा भैया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच फोन पर बात भी हुई है. दरअसल राजा भैया और समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव काफी करीब रहे हैं. मगर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और राजा भैया के बीच हमेशा राजनीतिक अदावत ही रही है. मायावती के राज में राजा भैया को ‘पोटा’ के तहत जेल भेजा गया और उनके ऊपर कई मुकदमें दर्ज किए गए. इसी बीच आज हम आपको राजा भैया के ऊपर दर्ज हुए एक ऐसे केस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे सुन आप भी चौंक जाएंगे.
मुलायम सिंह जिंदाबाद-अटल जिंदाबाद को लेकर हुआ केस दर्ज
हमारे सहयोगी The Lallantop ने राजा भैया के साथ लंबी बात की थी. इस दौरान राजा भैया ने अपनी जिंदगी, अपने राजनीतिक जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें भी बताई थी. इस दौरान राजा भैया ने अपने ऊपर दर्ज हुए एक अजीब केस का भी जिक्र किया था, जिसमें उनके ऊपर अजीब आरोप लगाए गए थे.
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राजा भैया ने सुनाया पूरा किस्सा
राजा भैया ने दी लल्लनटॉप के साथ बात करते हुए बताया था कि मायावती मुख्यमंत्री थीं. उनकी सरकार अल्पमत में थी. हम लोग मांग कर रहे थे कि मायावती बहुमत सिद्ध करें. हमारी मांग को काफी समय हो गया था. मगर मायावती बहुमत सिद्ध नहीं कर रही थीं. दरअसल उनके पास बहुमत ही नहीं था. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के भी कई विधायक जो अपने-अपने कारणों से नाखुश थे, वह भी हमारे साथ आ गए. हमारी इस मांग को दबाने के लिए कई फर्जी केस हमारे ऊपर दर्ज करवाए गए. ये संकेत था कि चुप रहिए, वरना ऐसे केस और भी दर्ज होंगे.
राजा भैया ने आगे बताया, इस दौरान उस समय के एक विधायक पूरन सिंह बुंदेला, जिनके साथ हमारा ना कभी कोई विवाद हुआ और ना ही हमारी कभी मुलाकात हुई, उनकी फर्जी शिकायत पर हमारे खिलाफ केस दर्ज किया गया.
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राजा भैया ने बताया, उस एफआईआर कॉपी में लिखा था, ‘लखनऊ के किसी चौराहे पर राजा भैया और वह एक दूसरे के सामने आ गए. इस दौरान राजा भैया ने विधायक पर पिस्टल तानी और उनसे कहा कि मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद कहो. विधायक ने कहा कि मैं ये नहीं कहूंगा, फिर चाहे मेरी जान चली जाए. मैं सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी जिंदाबाद कहूंगा. इसके बाद राजा भैया ने कहा कि अगर तुम मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद नहीं कहोगे तो मैं गोली मार दूंगा. इसके जवाब में विधायक ने कहा कि मैं मरने से नहीं डरता. मैं तो सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी जिंदाबाद ही बोलूंगा.
जेल जाने के संकेत लगातार मिल रहे थे- राजा भैया
इसके बाद राजा भैया ने कहा, हमारे खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया गया. इस केस में अपहरण के भी आरोप लगाए गए. उस दौरान हमें काफी दिनों से संकेत मिल रहे थे कि हमारी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है और हमें कभी भी जेल जाना पड़ सकता है. हमने जेल जाने के लिए अपना सारा सामान भी रख लिया था. उसी दौरान रात करीब 2.30 बजे के आस-पास हमारे घर में पुलिस आ गई और वह हमें गिरफ्तार करके जेल ले गई. बता दें कि 2 नवंबर 2002 की रात राजा भैया को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कहा जाता है कि मायावती ने ही राजा भैया को अरेस्ट करवाया था.
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मायावती और राजा भैया रहे धुर विरोधी
आपको ये भी बता दें कि 2002 में भाजपा से समर्थन मिलने के बाद मायावती फिर एक बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं. मगर राजा भैया को मायावती ने मंत्री नहीं बनाया था. भाजपा के कुछ विधायक भी सरकार से खुश नहीं थे. ऐसे में राजा भैया समेत करीब 20 विधायक मायावती सरकार के खिलाफ राज्यपाल से मुलाकात कर आए थे. राजा भैया उस दौरान मायावती के खिालफ भी बयानबाजी कर रहे थे.
सियासी हलकों में चर्चा की जाती है कि उस दौरान मायावती ने एक विधायक पूरन सिंह बुंदेला को अपने पाले में लिया और पूरन सिंह बुूंलेदा ने राजा भैया के खिलाफ केस दर्ज करवाया, जिसके बाद से राजा भैया और मायावती में अदावत लगातार बढ़ती चली गई.
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