UP Nazul Land Bill: UP विधान परिषद में 100 में 79 सदस्य BJP के फिर भी पास नहीं हो पाया नजूल संपत्ति विधेयक, क्यों?
उत्तर प्रदेश विधानसभा से बुधवार को पारित किया गया उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति विधेयक को विधान परिषद की मंजूरी नहीं मिली और सत्ता पक्ष के 'प्रस्ताव पर ही इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. जानें वजह जिसकी वजह से ये विधेयक पास नहीं हो सका.
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UP News: उत्तर प्रदेश विधानसभा से बुधवार को पारित किया गया उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबन्ध और उपयोग) विधेयक को विधान परिषद की मंजूरी नहीं मिली और सत्ता पक्ष के 'प्रस्ताव पर ही इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. आपको बता दें कि राज्य विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 79 सदस्य हैं. फिर भी यह विधेयक पारित नहीं हुआ, आखिर इसके पीछे क्या वजह है, उसे खबर में आगे जानिए.
आखिर क्यों पास नहीं हो पाया नजूल संपत्ति विधेयक?
आपको बता दें कि विधान परिषद में जिस समय उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस नजूल सम्पत्ति विधेयक को पेश किया, उसी समय विधान परिषद के सदस्य और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि उनका प्रस्ताव है कि इस विधेयक को सदन की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया जाए जो दो माह के अंदर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे. इसके बाद सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द किए जाने के प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया.
सीएम योगी ने दी थी हरी झंडी!
बताया जा रहा है कि कुछ भाजपा विधायक भी इस बिल के खिलाफ थे. सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक के पास होने के बाद विधान परिषद में इसे प्रवर समिति को भेजने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी हरी झंडी थी.
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विधायकों ने की थी सीएम योगी से मुलाकात
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में विधेयक पेश होने और पास होने के बाद कई विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अलग-अलग मुलाकात की. इस दौरान विधायकों ने इस बिल को लेकर कई संशोधन सुझाए. माना जा रहा है कि चूंकि सीधे पास हुए विधायक को रोक नहीं जा सकता था, इसलिए विधान परिषद में प्रवर समिति के जरिए फिलहाल 2 महीने के लिए इसे टाला गया है.
क्या होती है नजूल संपत्ति?
नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसे में इन जमीनों पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है. दरअसल, अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वाली रियासतों से लेकर लोगों तक की जमीनों पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी. वहीं आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया सरकार ने उनकी जमीनों को वापस कर दिया. वहीं जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वहीं नजूल की जमीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था. ये बिल इसी नजूल संपत्ति को लेकर था.
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