जौनपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान, अखिलेश से मुलाकात...और अचानक हो गई जेल! धनंजय सिंह के साथ ये क्या हुआ?

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Dhananjay Singh News: जौनपुर की अदालत द्वारा अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद बाहुबली पूर्व सांसद और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह फिर एक बार चर्चा के केंद्र में आ गए हैं. आपको बता दें कि इस मामले में धनंजय सिंह को आज यानी 6 मार्च को सजा सुनाई जाएगी. धनंजय सिंह को दोषी करार दिए जाने के बीच सियासी गलियारों में एक चर्चा खूब हो रही है. चर्चा यह है कि समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात के एक दिन बाद धनंजय सिंह दोषी करार दिए गए हैं. आखिर क्या है पूरा मामला? खबर में आगे विस्तार से जानिए इनसाइड स्टोरी.

धनंजय सिंह जताया था जौनपुर से चुनाव लड़ने का इरादा

आपको बता दें कि 2 मार्च की शाम सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने 195 उम्मीदवारों की सूची जारी की. जदयू के NDA अलायंस में आने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह जौनपुर सीट पर दावेदारी पेश कर रहे थे. मगर उन्हें सफलता नहीं मिली, क्योंकि भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह को जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बना दिया. इसके कुछ ही देर बाद धनंजय ने भी जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया. उन्होंने दो मार्च को 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में कहा था, "साथियों! तैयार रहिए...लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर." 

फिर हुई अखिलेश से मुलाकात

 

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बता दें कि लखनऊ में 4 मार्च को धनंजय सिंह की एक शादी समारोह में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से सार्थक मुलाकात भी हुई थी.  सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि धनंजय सिंह इस बार विपक्षी पार्टियों के समूह इंडिया गठबंधन के बैनर तले जौनपुर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते थे. मगर मंगलवार को अचानक 46 माह पूर्व दर्ज एफआईआर के आधार पर कोर्ट के आदेश ने जौनपुर की राजनीति में भूचाल ला दिया.

 

 

किस मामले में हुई है धनंजय को सजा?

 जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पांडेय ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को जौनपुर के लाइनबाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि विक्रम ने अपने दो साथियों के साथ पहले उनका अपहरण किया और फिर उन्हें पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास पर ले गया.  उन्होंने बताया कि सिंघल ने आरोप लगाया था कि वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए धमकी देने के बाद रंगदारी मांगी.   
 
पांडेय ने बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह गिरफ्तार भी हुए थे. बाद में उन्होंने उच्च न्यायालय इलाहाबाद से जमानत हासिल की थी. उन्होंने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम को दोषी करार दिया है.

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