सपा के लेटर पर शिवपाल यादव बोले- ‘मैं सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन मुझे…’

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शनिवार को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी ने अपनी सहयोगी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के चीफ शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) को लेटर जारी कर दो टूक कहा, ‘आपको जहां ज्यादा सम्मान मिले वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं.’

एसपी के इस लेटर पर अब शिवपाल सिंह यादव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद.

शिवपाल ने ट्वीट कर कहा है, “मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद. राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों एवं सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है.”

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बता दें कि एसपी की तरफ से शिवपाल को भेजे गए लेटर में कहा गया है, ‘‘माननीय शिवपाल सिंह यादव जी, अगर आपको लगता है, कहीं और ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं.”

हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल द्वारा एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाले जाने की घटनाक्रम के बाद एसपी ने यह लेटर जारी किया है.

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गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन देने का ऐलान किया था, तो वहीं एसपी के टिकट पर विधायक चुने गए शिवपाल ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी.

राष्ट्रपति चुनाव से पहले शिवपाल ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर कहा था कि सपा ने राष्ट्रपति चुनाव में उस व्यक्ति का समर्थन किया है, जिसने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का अपमान किया था.

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शिवपाल ने मुलायम को प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा था कि जिसने उनके रक्षा मंत्रित्व काल में उन्हें पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई का एजेंट बताया था, उसका समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण हैं. शिवपाल ने यशवंत सिन्हा को वोट देने से इनकार करते हुए कहा था कि हम नेताजी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे.

18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के बाद अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल पर आरोप लगाया था कि वह यशवंत सिन्हा पर पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आईएसआई का एजेंट कहने का आरोप लगाकर बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं.

राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरियां और बढ़ती नजर आईं. दोनों के बीच यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से फिर शुरू हुए मतभेद में राष्ट्रपति का चुनाव एक बार फिर नए पड़ाव के रूप में नजर आया.

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