वाराणसी: संस्कृत क्रिकेट मैच में वेदपाठी छात्रों ने धोती-कुर्ता पहनकर खूब लगाए चौके-छक्के

रोशन जायसवाल

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क्रिकेट भले ही खेल अंग्रेजों का हो और इसे जेंटलमैन गेम कहा जाता हो, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस खेल को चुटियाधारी वेदपाठी छात्र पारंपरिक वेशभूषा में भी खेल रहे हैं. यकीन नहीं होता तो आपको लिए चलते हैं वाराणसी के संपूर्णानंद खेल मैदान में. जहां संस्कृत और वेद की शिक्षा लेने वाले छात्रों की टीमों ने अपने पारंपरिक वेशभूषा में खूब चौके-छक्के मारे.

G-20 की मीली भारत को अध्यक्षता के मद्देनजर संस्कृत भाषा के उत्थान को देखते हुए इस अनोखे क्रिकेट खेल में कमेंट्री भी संस्कृत में ही की जा रही थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल पीएम मोदी ने भी अपने मन की बात में काशी के इस अनोखे संस्कृत क्रिकेट मैच की तारीफ की थी.

शायद ही देश के किसी स्टेडियम संस्कृत भाषा में कमेंट्री हुई हो देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी ऐसा ना हुआ होगा जो शनिवार सिगरा स्थित डा.संम्पूर्णानन्द संस्कृत स्पोर्ट्स स्टेडियम में हुआ. मौका था संस्कृत भाषा और इसके संवर्धन का.

वाराणसी के शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 79वें स्थापनोत्सव पर संस्कृत क्रिकेट मैच का भव्य आयोजन हुआ. कार्यक्रम संयोजक और शास्त्रार्थ महाविद्यालय के प्राचार्य पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि यह अनोखा आयोजन देश में यहीं काशी में आयोजित होता आ रहा है. जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी किया था. जिससे हम सभी का उत्साहवर्धन होता है. मैच में सारे नियम लगभग किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच के ही समान है और एक दिन के इस मुकाबले में कुल चार टीमें नाॅकआउट आधार पर खेल रही है.

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अंपायर की भूमिका में पूर्व खिलाड़ी धीरज मिश्रा और अनुज नीशी तिवारी तथा रेफरी के रूप में डा. अशोक पांडेय शामिल थे. चार टीमों ने प्रतिभाग किया, जिसमें श्री माहाविद्यालय, इंटरनेशनल चंद्रमौलि चेरिटेबल संस्कृत संस्थान, चल्ला शास्त्री वेद-वेदांग संस्कृत विद्यालय और श्री भगवान् विष्णु स्वामी सतुआ बाबा संस्कृत विद्यालय थे.

संस्कृत के छात्रों ने मंगलाचरण और वेद मन्त्रों का पाठ करते हुए मैदान में प्रवेश किया. तिलकधारी व लम्बी-लम्बी चुटियाधारी धोती-कुर्ता में क्रिकेटरों को देखकर वहां दर्शक दीर्घा में बैठे सभी रोमांचित हो गए. इन बच्चों के चौके-छक्कों पर तो सभी ने जोरदार तालियां भी बजाईं.

वहीं संस्कृत क्रिकेट मैच खेल रहे छात्रों ने भी बताया कि पिछले 12 वर्षों से होने वाले इस खेल को अब प्रदेश, देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की जरूरत है और संस्कृत और वेद के छात्र यह साबित कर रहे हैं कि कोई भी खेल या क्षेत्र उनसे अछूता नहीं है और उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है.

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