BHU के वैज्ञानिक का दावा, ‘कोरोना का ओमीक्रॉन वैरिएंट भारतीयों के लिए घातक नहीं’, जानें
अफ्रीका से निकले कोरोना वायरस के नए और ‘खतरनाक’ वैरिएंट ओमीक्रॉन ने एक बार फिर चिंता की वजह बढ़ा दी है. भारत समेत यूपी सरकार…
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अफ्रीका से निकले कोरोना वायरस के नए और ‘खतरनाक’ वैरिएंट ओमीक्रॉन ने एक बार फिर चिंता की वजह बढ़ा दी है. भारत समेत यूपी सरकार ने इस वैरिएंट की रोकथाम के लिए अलर्ट जारी कर दिया है. इस बीच ओमीक्रॉन वैरिएंट को लेकर भारतीयों के लिए BHU के जंतु विज्ञान विभाग से एक अच्छी खबर सामने आई है. दरअसल, BHU के जंतु विज्ञान विभाग के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने जीनोम सीक्वेंसिंग स्टडी के बाद संकेत दिए हैं कि ओमीक्रॉन वैरिएंट भारतियों के लिए ज्यादा प्रभावी नहीं होगा.
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया,
“ओमीक्रॉन वैरिएंट के साथ कई सारे म्यूटेशन जुड़े हैं. इसी के आधार पर दिख रहा है कि यह इम्यून स्केप भी कर सकता है और जिनके अंदर लो लेवल की एंटीबॉडी हैं उनको फिर से प्रभावित कर सकता है. जो लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं, उनको भी किसी डिग्री तक उनकी इम्यूनिटी बाईपास कर सकता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि यह वैरिएंट खतरनाक तो है, लेकिन इसे समझने में कम से कम दो हफ्ते लगेंगे. तभी समझ में आ सकेगा कि इससे मृत्युदर कितनी है?”
ज्ञानेश्वर चौबे, प्रोफेसर BHU
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उन्होंने बताया कि प्रारंभिक एनालिसिस से पता चला है कि यह ओमीक्राॅन वैरिएंट मई 2020 में ही ओरिजनेट हो चुका था. एड्स के मरीज में काफी समय तक रहने के बाद इस वैरिएंट ने म्यूटेशन किया. ओमीक्रॉन वैरिएंट की रेट ऑफ इफेक्टिविटी 2 है जोकि डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा है.
इसके ‘ज्यादा खतरनाक न होने को लेकर’ प्रोफेसर ने क्या तर्क दिया?
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इसके कम घातक होने के बारे में प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया, “अभी अफ्रीका में चौथी वेब चल रही है और अफ्रीका में जितने वैरिएंट पैदा हुए वे अफ्रीकन लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सके, क्योंकि अफ्रीका से ही सारे मानव पैदा हुए हैं. अफ्रिकन लोगों की इम्यूनिटी किसी भी वायरस से लड़ने में ज्यादा सक्षम है. इसी तरह अक्रीका के बाद भारत की डायवर्सिटी आती है. माना जाता है कि यहां के लोगों की भी इम्युनिटी काफी अच्छी है.”
उन्होंने आगे बताया, “इंडिया के लिए प्लस पॉइंट ये है कि सीरो सर्वे के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट से 70% लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं और 5-10% ही रिइंफेक्शन रेट है. इसका मतलब यह है कि भारत में यह ओमीक्रॉन वैरिएंट फैला भी तो बहुत ही कम लोगों को रिइंफेक्शन होगा और लोग इस वैरिएंट से बचे रहेंगे.”
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