पिंडदान किया, समाधि बनवाई और दी तेरहवीं की दावत, आखिर क्यों शख्स ने जीते जी किए सभी क्रिया कर्म?

विशाल सिंह चौहान

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Unnao News: गुस्से में इंसान लड़ाई करता है, मारपीट तक कर देता है या ज्यादा से ज्यादा किसी आपराधिक गतिविधि को अंजाम दे देता है. इसलिए गुस्से को इंसान का दुश्मन माना गया है. मगर आज जो खबर हम आपको बताने जा रहे है, उसे सुन आप भी कुछ पल के लिए सन्न रह जाएंगे. क्या कोई इंसान गुस्से में जीते जी अपना पिंड दान कर डालता है? क्या कोई इंसान जीते जी अपनी समाधि तक बनवा देता है और अपनी तेरहवीं का खाना भी सभी को खिलाता है? इनपर यकीन करना मुश्किल है. मगर उत्तर प्रदेश के उन्नाव से कुछ ऐसा ही अजीबो-गरीब और चौंका देने वाला मामला सामने आया है.

दरअसल उन्नाव के नवाबगंज विकास खंड के गांव केवाना में रहने वाला एक शख्स किसी बात पर अपने बच्चों और अपनी पत्नी से नाराज हो गए और उसका अपने परिवार से विवाद हो गया. इसके बाद शख्स ने वो किया, जिसे देख पूरा क्षेत्र हैरान रह गया. दरअसल शख्स ने जीते जी अपना पिंड दान कर दिया. यहां तक की उसने मरने के बाद अपनी समाधि के लिए एक चबूतरा तक बनवा डाला और अपनी तेरहवीं का खाना भी गांव वालों को खिला दिया.

खेतों में रहने लगा और परिवार से नाता खत्म कर लिया

मिली जानकारी के मुताबिक, उन्नाव जनपद के नवाबगंज के केवाना गांव निवासी 59 साल के जटाशंकर पेशे से किसान हैं. उसने 3 शादियां की हैं. परिवार में 3 पत्नियां समेत 7 बच्चों हैं, जिसमें 5 बेटे और 2 बेटियां हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ महीने पहले उसका अपनी पत्नी व बच्चों के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया.  

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इसके बाद वह परिवार से अलग होकर खेतों में रहने चला गया और सभी से नाता तोड़ लिया. खेत में एक जगह उसने एक पक्का चबूतरा भी बनवा दिया और लोगों से कहने लगा कि उसके मरने के बाद उसे यहीं पर दफना दिया जाए. मगर लोग उसकी बातों को मजाक में लेते थे.  

पिंडदान और तेरहवीं की दावत कर दी तब लोग हुए हैरान

हाल ही में शख्स ने अपना पिंडदान किया और बीते गुरुवार को उसने पूजा पाठ के बाद सभी गांव वालों को दावत दी. फिर पता चला कि शख्स ने अपनी तेरहवीं की दावत गांव वालों को दी है. ये जान सभी ग्रामीण और क्षेत्रवासी सन्न रह गए. उसने तेरहवीं की दावत में सभी को बुलाया. 

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पत्नी ने ये कहा 

इस मामले पर जटा शंकर की पत्नी मुन्नी देवी ने कहा कि  क्या पता कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? उनके मन और दिमाग में क्या है, ये कोई कैसे जान सकता है. वह हमें खर्चा भी नहीं देते हैं. अपनी मर्जी से अपने लिए कब्र भी बना लिए हैं. हम लोग उनको रोक नहीं सकते.

जटाशंकर का कहना है कि हम जो भी कर रहे हैं, अपनी मर्जी से कर रहे हैं. पूरा परिवार खुशहाल है. हमपर कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा है. हम जो कर रहे हैं, खुद से कर रहे हैं.

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