बरेली: जुलूसे मोहम्मदी पर मौलाना का आया बयान, ‘सर तन से जुदा’ नारे को लेकर कही ये बात

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Bareilly News:  देशभर में पैगंबर इस्लाम का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. जगह-जगह जुलूस निकाले जाते हैं, गाने और डीजे बजाए जाते हैं लेकिन अब बरेली में फरमान जारी करके इन सभी बातों को गलत बताया गया है.

आपको बता दें कि बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने फरमान जारी करते हुए कहा है कि जुलूसे मोहम्मदी को पाकीज़गी और पैग़म्बरे इस्लाम की सीरत की रौशनी में निकाला जाना चाहिए.  जुलूस के दौरान डीजे, गाना बजाना ये सब नाजायज काम है. उन्होंने फरमान जारी करते हुए कहा कि इस तरह के काम करने से जुलूस की धार्मिक गरिमा को नुकसान पहुंचता है और सबाब की जगह गुनाह मिलता है. इसलिए जुलूस में कोई भी ऐसा काम ना किया जाए जिससे इस्लाम की शिक्षा को नुकसान पहुंचता हो.

इसी के साथ मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने फरमान में सर तन से जुदा नारे को पाकिस्तान नारा भी बताया है. उन्होंने फरमान में मुस्लिम युवाओं से अपील की है कि पाकिस्तान से आया सर तन से जुदा का नारा जुलूस में ना लगाया जाए. उन्होंने फरमान में कहा है कि इस नारे की जगह हमारे बुजुर्गों द्वारा दिया गया नारा “प्यारे नबी की है ये शान बच्चा-बच्चा है कुर्बान” का नारा लगाए. उन्होंने फरमाया है कि यह हमारे देश हिंदुस्तान का नारा है और इस नारे में नबी के लिए प्यार का इजहार होता है. इस नारे में हिंसा नहीं बल्कि मोहब्बत है.

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने आगे कहा कि सर तन से जुदा का नारा गैर अखलाकी, गैर कानूनी और गैर शरई भी है.आला हजरत ने अपने फतवे में लिखा है कि कानून को अपने हाथ  में लेना जायज नहीं है. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि सजा देने का अधिकार सिर्फ सरकार और कानून को है. किसी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं दिया जाता की वो खुद सजा तय करें और खुद ही सजा दे. उन्होंने कहा कि देश चाहे इस्लामी हो या लोकतांत्रिक किसी को भी अधिकार नहीं है कि वह खुद सजा दे.

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आपको बता दें कि इससे पहले भी मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी अपने बयानों और फरमानों के जरिए चर्चा में रह चुके हैं. इससे पहले भी वह पीएफआई को भी बैन करने की मांग उठा चुके है. पीएफआई के मुद्दे पर उन्होंने कहा था कि यह कट्टरपंथी विचार वाला संगठन है. हाल ही में भारत सरकार ने पीएफआई को बैन कर दिया था.

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